मैसूरु के शिल्पकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की एक नई मूर्ति को अयोध्या में राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है।
मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को यह जानकारी दी। राय ने यहां संवाददाता सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए कहा, रामलला की वर्तमान मूर्ति को भी नए मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा।
श्रीराम जन्मभूमि के अस्थायी मंदिर में विराजमान श्रीरामलला का दर्शन 20 जनवरी से बंद हो जाएगा। नवनिर्मित श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में बाल स्वरूप भगवान श्रीराम की प्रतिमा 18 जनवरी को विराजमान हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को अपने हाथों से श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे।
इस पर आज विस्तृत जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने साझा की। बताया कि श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी पूरी हो गई है। महोत्सव कल 16 जनवरी को पूर्वाह्न 12 बजे शुरू हो जाएगा।
पौष शुक्ल द्वादशी 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त मृगशिरा नक्षत्र में 12.20 बजे से प्राण प्रतिष्ठा होगी। देश के मूर्धन्य विद्धान पं. गणोश शास्त्री द्रविड़ व काशी के कर्मकांडी लक्ष्मीकांत दीक्षित प्राण प्रतिष्ठा कराएंगे। 21 जनवरी तक पूजन विधि पूरी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए जो न्यूनतम पूजन है वह होंगे।
ट्रस्ट महासचिव ने बताया कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है वह पत्थर की है जिसका वजन करीब 200 किग्राहै। पांच वर्ष के बालक की खड़ी प्रतिमा है, गर्भगृह में अपने आसन पर 18 जनवरी को खड़ी कर दी जाएगी। जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होती है उसको अनेक प्रकार से निवास कराया जाता है जल, अन्न, फल, शैया निवास कराया जाता है। पूजा पद्धति की विधि में अधिवास कहते हैं।