पत्रकारों के कई संगठनों ने सरकार से प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाले कानूनों को वापस लेने का आग्रह किया है। इसके अलावा मीडिया संगठनों ने सरकार से भारतीय प्रेस परिषद के स्थान पर एक ऐसा निकाय बनाने की मांग की है, जिसमें प्रसारण और डिजिटल मीडिया भी शामिल हों। पत्रकारों के 15 संगठनों के प्रतिनिधियों ने 28 मई को आयोजित एक बैठक में हिस्सा लिया, जिसमें यह मांग रखी गयी। मीडिया संगठनों ने यह भी मांग की कि सरकार श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा शर्तें) और विविध प्रावधान अधिनियम, 1955 और श्रमजीवी पत्रकार (पारिश्रमिक दर निर्धारण) अधिनियम, 1958 को बहाल करे, साथ ही प्रसारण और डिजिटल मीडिया क्षेत्र में काम करने वाले पत्रकारों को भी कानूनों के दायरे में शामिल करे।

पत्रकारों के संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘ प्रस्तावित प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक-2023, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम-2023, प्रेस और पत्रिकाओं का पंजीकरण अधिनियम-2023, और इससे भी महत्वपूर्ण, सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम- 2023 जैसे कानूनों के व्यापक प्रावधानों का उद्देश्य प्रेस को चुप कराना है। ये प्रावधान सरकार को किसी भी ऑनलाइन सामग्री को हटाने का अधिकार देते हैं जिसे वह गलत या भ्रामक मानती है।’’ इस बैठक में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, प्रेस एसोसिएशन, डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन और भारतीय महिला प्रेस कोर जैसे प्रेस निकायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

उन्होंने कहा कि नियंत्रण और विनियमन की आशंकाएं हैं तथा इससे नागरिकों के जानने के अधिकार पर अनुचित प्रतिबंध लग सकते हैं। पत्रकारों के संगठनों ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों के जानकारी प्राप्त करने (जानने) के अधिकार का हनन न हो। उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रस्तावित भावी कानून प्रेस की स्वतंत्रता में बाधा न डालें, तथा नागरिकों की निजता के अधिकार को बरकरार रखा जाए।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights