महाकुम्भ : परमार्थ निकेतन के सेवा प्रकल्पों को देखने भारी संख्या में पहुंच रहे हैं श्रद्धालु

महाकुम्भ नगर, 04 फ़रवरी (हि.स.)। भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल प्रतीक महाकुम्भ मेला अपनी विशालता और दिव्यता से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। महाकुम्भ की पवित्र धरती पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती के आशीर्वाद व मार्गदर्शन में परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज में धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सेवा के कई महत्वपूर्ण प्रकल्पों का आयोजन किया है। यह प्रकल्प न केवल आध्यात्मिक साधना के लिए हैं, बल्कि समाज के कल्याण के लिए भी महत्व हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने बताया कि परमार्थ निकेतन शिविर में महाकुम्भ के इस अद्भुत अवसर पर कई धार्मिक प्रकल्पों की शुरुआत की गई है। श्रद्धालुओं के लिए यज्ञ, प्रार्थना, योग, ध्यान और प्राणायाम सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून मिल सके। इस धार्मिक आयोजन में हर दिन सुबह दक्षिण भारत से आये पुरोहितों द्वारा वेद मंत्रों का पाठ किया जा रहा है, जो वातावरण को एक दिव्य आभा प्रदान कर रहा है। यहां उपस्थित श्रद्धालु योग, ध्यान और प्राणायाम की साधना करते हुए अपनी आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति का अनुभव कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि महाकुम्भ की धरती पर परमार्थ निकेतन ने एक अद्वितीय पहल की शुरूआत की है, जो हैं दिव्यांगता मुक्त महाकुम्भ। इस प्रकल्प के अंतर्गत दिव्यांगजनों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। परमार्थ निकेतन ने दिव्यांगों के लिए मुफ्त चिकित्सा शिविर लगाए हैं, जहां उन्हें चिकित्सा सहायता, दवाइयां, मोल्डेड जूते, कैलिपर और विशेष उपचार प्रदान किया जा रहा है। यह पहल महाकुम्भ को अधिक समावेशी और सभी के लिए सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

परमार्थ निकेतन ने मेदांता अस्पताल के सहयोग से एक विशाल चिकित्सा शिविर का आयोजन किया है, जिसमें अनुभवी चिकित्सक श्रद्धालुओं की चिकित्सा जांच कर रहे हैं। इस शिविर में एम्बूलेंस सुविधा और त्वरित उपचार के लिए चिकित्सा सुविधायें प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त, एक्यूप्रेशर और इमोश्नल मेडिसिन चिकित्सा के माध्यम से मानसिक और शारीरिक रोगों का उपचार भी किया जा रहा है। इस पहल के तहत हजारों श्रद्धालुओं को निःशुल्क चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा के लिए परमार्थ निकेतन ने हर सुबह चाय और बिस्किट का वितरण शुरू किया है, ताकि कई किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद भी वे ऊर्जा से भरपूर रहें। इसके साथ ही, दोपहर में सुपाच्य भोजन (खिचड़ी) का वितरण भी किया जा रहा है, जो न केवल पोषक है, बल्कि श्रद्धालुओं को ताजगी और शक्ति प्रदान करता है।

उन्होंने बताया कि परमार्थ निकेतन शिविर में विशेष रूप से वेद मंत्रों का पाठ किया जा रहा है, जो महाकुम्भ के दिव्य वातावरण में ऊर्जा का संचार करता है। वेदों का ज्ञान और संस्कृत का अध्ययन, भारतीय संस्कृति के आदिकालीन महत्व को पुनः जागरूक करता है। संस्कृत के मंत्र और श्लोकों का पाठ श्रद्धालुओं को केवल आध्यात्मिक अनुभव ही नहीं देता, बल्कि भारतीय संस्कृति की जड़ों से जोड़ता है।

उन्होंने बताया कि परमार्थ निकेतन के सेवा प्रकल्प न केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित हैं, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग की भलाई के लिए विभिन्न पहलें की गई हैं। दिव्यांगता मुक्त महाकुम्भ, चिकित्सा सेवाओं, भोजन वितरण और संस्कृत शिक्षा के माध्यम से परमार्थ निकेतन न केवल आध्यात्मिक साधना को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि समाज के सभी हिस्सों के लिए सेवाओं का विस्तार कर रहा है जो आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ सामाजिक, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का भी उतना ही महत्व है।

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