बागपत के सिरसली गांव में बुधवार की शाम को हुए एक खूनी संघर्ष ने इलाके में दहशत फैला दी है। बाइक पर सवार दो हिस्ट्रीशीटर ने ग्राम प्रधान धर्मेंद्र तोमर पर ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मौके पर ही जान चली गई। घटना के दौरान रिटायर्ड दरोगा तेजवीर के बेटे विनीत को भी गोली लगी और वह गंभीर रूप से घायल हो गए। जैसे ही गोलीबारी शुरू हुई, अन्य ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग निकले। इस दौरान एक हिस्ट्रीशीटर ने भागते वक्त यह धमकी भी दी कि वह गांव में होने वाले आने वाले चुनावों में खुद चुनाव लड़ेगा, चाहे कोई भी हो। दोनों बदमाश फायरिंग करने के बाद हथियार लहराते हुए फरार हो गए।
घटना के समय प्रधान धर्मेंद्र अपने दोस्त रिटायर्ड दरोगा तेजवीर के घर पर थे, जहां वे ग्रामीणों के साथ ताश खेल रहे थे। अचानक बाइक पर पहुंचे आयुष और उसके साथी ने धर्मेंद्र के पास आकर उन पर फायरिंग शुरू कर दी। दरोगा के बेटे विनीत ने बदमाशों को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें भी गोली मारी गई। इस घटना की जानकारी पाते ही मौके पर पुलिस पहुंची और घायलों को बिनौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। वहां से धर्मेंद्र को मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में उनकी मृत्यु हो गई।
गांव में इस घटना के बाद तनाव का माहौल है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आसपास की जगहों पर गश्त बढ़ा दी है। क्षेत्र में चार थानों की पुलिस तैनात कर दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में शामिल अपराधियों की पहचान कर उन्हें पकड़ने के लिए विशेष टीमें बनाई गई हैं। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की भी जांच शुरू कर दी है।
ग्राम प्रधान धर्मेंद्र तोमर के परिवार के लोगों ने बताया कि वह पांच भाइयों में तीसरे नंबर के थे और उनके तीन बच्चे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी अन्य सुविधाओं और पुत्र रचित की भी मदद की गुहार लगाई जा रही है। यह घटना चुनावी विवादों से जुड़ी प्रतीत होती है, क्योंकि हिस्ट्रीशीटर आयुष हाल ही में जेल से रिहा हुआ था और उसने प्रधानी चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। इसके चलते वह धर्मेंद्र की राह में रुकावट मानता था।
पुलिस अधीक्षक सूरज कुमार राय ने बताया कि आयुष और उसके साथियों ने ग्राम प्रधान की हत्या का प्रयास किया है, जिसके पीछे चुनावी मुद्दे हो सकते हैं। पुलिस अब नामज़द अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की योजना बना रही है। बागपत की यह वारदात न केवल क्षेत्र की सुरक्षा को चुनौती देती है, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया पर भी एक सवाल खड़ा करती है कि कैसे ऐसे अपराधी समाज के जिम्मेदार पदों पर आसीन होने की इच्छा रखते हैं।