प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में अपने भाषण में कांग्रेस पर कड़ा हमला किया। वह राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने आपातकाल और 1977 के चुनाव का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर लोकतंत्र को कुचलने का आरोप लगाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अब भी फेक नैरेटिव चलाते रहेंगे क्या? आप भूल गए 1977 का चुनाव… अखबार बंद थे, रेडियो बंद थे, बोलना भी बंद थे। एक ही मुद्दे पर देशवासियों ने वोट दिया था, लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए वोट दिया था, संविधान की रक्षा के लिए पूरे विश्व में इससे बड़ा चुनाव नहीं हुआ है।”
उन्होंने आगे कहा, “आपातकाल को मैंने बहुत निकट से देखा है। करोड़ों लोगों को यातनाएं दी गईं, उनका जीना मुश्किल कर दिया गया था। भारत के संविधान की रक्षा करने की बात करने वालों से मैं पूछता हूं कि जब आपने लोकसभा को सात साल चलाया था, लोकसभा का कार्यकाल पांच साल है, वो कौनसा संविधान था जिसे लेकर आपने सात साल तक सत्ता की मौज ली और लोगों पर जुल्म करते रहे और आप संविधान हमें सिखाते हो।”
प्रधानमंत्री मोदी ने 38वें, 39वें और 42वें संविधान संशोधन का भी जिक्र किया और कहा, “संविधान की आत्म को छिन्न-भिन्न करने का पाप इन्हीं लोगों ने किया था। 38वां, 39वां और 42वां संविधान संशोधन, जिन्हें मिनी कॉन्स्टीट्यूशन के रूप में कहा जाता था, ये सब क्या था। आपके मुंह से संविधान की रक्षा शब्द शोभा नहीं देता है। ये पाप करके आप बैठे हुए हो।”
जून 1975 में इमरजेंसी लगने के बाद इंदिरा गांधी की सरकार ने सबसे पहले 38वां संविधान संशोधन किया। इस संशोधन के जरिए न्यायपालिका से आपातकाल की न्यायिक समीक्षा का अधिकार छीन लिया गया था। इसके करीब दो महीने बाद 39वां संशोधन किया गया, जिसके अनुसार प्रधानमंत्री के चुनाव की जांच सिर्फ संसद की तरफ से गठित कमेटी ही कर सकती थी।
इमरजेंसी के दौरान 42वां संविधान संशोधन पास किया गया, जिसे ‘मिनी कॉन्स्टीट्यूशन’ भी कहा जाता है। इस संशोधन के जरिए संविधान में बड़े स्तर पर बदलाव किए गए। संविधान की प्रस्तावना में तीन नए शब्द- समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता जोड़े गए। इसके अलावा, किसी भी आधार पर संसद के फैसले को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी और संसद का कार्यकाल पांच साल से बढ़ाकर छह साल कर दिया गया था।1977 में जनता पार्टी की सरकार आने के बाद 44वें संविधान संशोधन के जरिए 42वें संशोधन के कई प्रावधानों को रद्द कर दिया गया था, लेकिन संविधान की प्रस्तावना में हुए बदलाव से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी।प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण ने एक बार फिर आपातकाल के काले दिनों और कांग्रेस के विवादास्पद फैसलों की याद दिला दी है।