प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बढ़ावा देने के तहत भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शिल्पकारों के बनाये हुए स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी की और उन्होंने डिजिटल माध्यम से इसका भुगतान किया।

दरअसल, पीएम मोदी ने मई 2020 में देशवासियों को आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ का मंत्र दिया था। बुधवार, 8 नवंबर 2023 को ही प्रधानमंत्री ने देशवासियों से ‘वोकल फॉर लोकल’ को अपनाने की अपील की थी। जनता से डिजिटल मीडिया का उपयोग करके स्थानीय प्रतिभाओं का समर्थन करते हुए भारत की उद्यमशीलता और रचनात्मक भावना का समारोह मनाने का अनुरोध भी पीएम मोदी ने किया था। उन्होंने एक लिंक भी साझा किया, जिस पर लोग नमो ऐप पर उत्पाद या उसके निर्माता के साथ सेल्फी पोस्ट कर सकते हैं।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बढ़ावा देने के आह्वान पर गुरुवार को दिवाली से पहले शिल्पकारों के बनाये हुए स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी की। उन्होंने डिजिटल माध्यम से इसका भुगतान किया।

इस अवसर पर बोलते हुए नड्डा ने कहा कि देश की जनता को इस अभियान से जुड़ना चाहिए क्योंकि यह संकल्प स्थानीय कारीगरों के परिश्रम और समर्पण को पहचान दिलाएगा। उन्होंने कहा कि हमें वोकल फॉर लोकल को समाज में आगे बढ़ाना चाहिए। भाजपा अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री की ‘वोकल फॉर लोकल’ की अपील को आगे ले जाने के लिए सभी देशवासियों से आग्रह करते हुए कहा कि हम सब भारतवासी दीपावली से छठ तक अधिक से अधिक स्थानीय एवं स्वदेशी उत्पादों को खरीदें और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक कदम आगे बढ़ाएं। प्रधानमंत्री ने सभी से निवेदन भी किया था कि दीपावली से लेकर छठ तक हम जो सामान खरीदें, वो लोकल प्रॉडक्ट्स हों।

मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में उन्होंने हर दृष्टि से दैनिक जीवन में लोकल उत्पादों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करके इस अभियान को आगे बढाया है। इस दिशा में ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान मील का पत्थर साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री ने इस अभियान को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत पहल भी की है। इसके आशातीत परिणाम धरातल पर दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। पिछले कुछ वर्षों में लोकल उत्पादों की खरीद-बिक्री काफी बढ़ी है। अब लोग लोकल प्रॉडक्ट्स के प्रति काफी जागरुक होने लगे हैं।

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