अमेरिका में पिछले कुछ महीनों में हिंदू मंदिरों पर हमले की दर्जन भर से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन बाइडेन प्रशासन एक भी आरोपी को गिरफ्तार करने में नाकाम रहा है। वो एफबीआई, जो खुद को दुनिया की सबसे बेहतरीन एजेंसी बताती है, वो आज तक एक भी मंदिर पर हुए हमले में शामिल आरोपियों को नहीं खोज पाई है।
न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने सोमवार (स्थानीय समय) को न्यूयॉर्क के मेलविले में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की निंदा की है और कहा है, कि उसने इस “जघन्य कृत्य” के अपराधियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई के लिए अमेरिकी अधिकारियों के सामने मामला उठाया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, वाणिज्य दूतावास ने कहा है, कि “मेलविले, न्यूयॉर्क में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में की गई बर्बरता अस्वीकार्य है; वाणिज्य दूतावास @IndiainNewYork समुदाय के संपर्क में है और इस जघन्य कृत्य के अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के लिए अमेरिकी कानून प्रवर्तन अधिकारियों के समक्ष मामला उठाया है।”
वहीं, मंदिर के अपमान की निंदा करते हुए BAPS स्वामीनारायण संस्था ने कहा कि वह इस घटना से “बहुत दुखी” है और कहा, कि उत्तरी अमेरिका में विभिन्न हिंदू मंदिरों में इसी तरह की घटनाएं हुई हैं। संस्था ने कहा, “कल रात, न्यूयॉर्क के मेलविले में BAPS श्री स्वामीनारायण मंदिर को नफरत के संदेशों के साथ अपवित्र किया गया। दुर्भाग्य से, यह कोई अकेली घटना नहीं है।”
Deeply saddened by the desecration of our BAPS Mandir in Melville, NY, an act aimed at inciting hatred against Hindus. Today, local, state & federal leaders gathered to promote peace, respect & unity. Guided by our faith, we stand united against hate with compassion & solidarity. pic.twitter.com/ERvM1m1AZF
— BAPS Public Affairs (@BAPS_PubAffairs) September 16, 2024 ” data-loaded=”true”>
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— BAPS Public Affairs (@BAPS_PubAffairs) September 16, 2024
मंदिर प्रशासन ने कहा, कि “हम इन कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं और सभी समुदायों के बीच शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। सभी के लिए शांति, सम्मान और सद्भाव, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या आस्था कुछ भी हो, संयुक्त राज्य अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता का आधार है। हम उन लोगों के लिए भी अपनी गहरी प्रार्थना करते हैं, जिन्होंने इस अपराध को अंजाम दिया है, ताकि वे अपनी नफरत से मुक्त हो सकें और हमारी साझा मानवता को देख सकें।”
BAPS समुदाय के सदस्य शांति और एकता के लिए प्रार्थना करने के लिए अपवित्रता स्थल पर एकत्र हुए और लॉन्ग आइलैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले स्थानीय, राज्य और संघीय नेताओं ने उनका समर्थन किया। BAPS आध्यात्मिक नेता महंत स्वामी महाराज ने इस अवसर पर शांति और सद्भाव के लिए अपनी प्रार्थनाएं कीं।
इस बीच, हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने अमेरिकी न्याय विभाग से न्यूयॉर्क में BAPS हिंदू मंदिर पर हमले की जांच करने का आग्रह किया है। फाउंडेशन ने कहा, कि “इस सप्ताहांत पास के नासाउ काउंटी में एक बड़े भारतीय समुदाय के एकत्र होने की योजना के कारण हिंदू संस्थानों को हाल ही में मिली धमकियों के बाद OnTheNewsBeat द्वारा मेलविले, NY में हिंदू मंदिर को साझा किया गया।”
बयान में यह भी कहा गया है, कि खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हाल ही में हिंदू और भारतीय संस्थानों को धमकी देते हुए एक वीडियो शेयर किया था। इसमें कहा गया है, कि न्यूयॉर्क में हुई बर्बरता की घटना कैलिफोर्निया और कनाडा में मंदिरों पर हुए हमलों के समान है।
वहीं अमेरिकी सांसद टॉम सुओज़ी, जो शांति और एकता के लिए प्रार्थना करने वाले स्थल पर अमेरिकी नेताओं में से एक थे, उन्होंने कहा, कि वह मंदिर को निशाना बनाकर की गई “बर्बरता की घिनौनी हरकतों” से “स्तब्ध” हैं।
उन्होंने एक्स पर लिखा, कि “राष्ट्रीय नेताओं द्वारा भड़काऊ बयानबाजी, अतिवाद और जवाबदेही की कमी के कारण बर्बरता, कट्टरता और घृणा की ऐसी हरकतें अक्सर होती रहती हैं। इस तरह की हरकतें गैर-अमेरिकी हैं और हमारे राष्ट्र के मूल मूल्यों का खंडन करती हैं।”
इससे पहले, कनाडा के एडमोंटन में BAPS स्वामीनारायण मंदिर पर भारत विरोधी भित्तिचित्रों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य को धमकी दी गई थी। कनाडा में हिंदू मंदिरों पर कई हमले हुए हैं, जिन्हें पहले खालिस्तान समर्थक समूहों द्वारा जिम्मेदार ठहराया गया था, जिससे भारत और कनाडा के बीच संबंधों में और तनाव आने की आशंका थी।
भारत ने कहा है, कि मंदिरों पर ये हमले बार-बार होने वाली घटनाएं बन गए हैं और ये घटनाएं एक ऐसे उद्देश्य से की गई हैं, जिसे समझना मुश्किल नहीं है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, कि “हमने हाल के दिनों में कनाडा में ऐसी कई घटनाएं देखी हैं। अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की कमी ने ऐसे आपराधिक तत्वों को और बढ़ावा दिया है। उग्रवाद और हिंसा की वकालत करने वालों और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत है, अन्यथा कनाडा में कानून का शासन और बहुलवाद के प्रति सम्मान को गंभीर रूप से कमजोर किया जाएगा।”