आवंटित खदानों और देश के संसाधनों का समुचित उपयोग किया जाए, ग्रीन-फील्ड खनन में तेजी लाने की जरूरत : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को उद्योग से देश में इस्पात उत्पादन बढ़ाने के लिए अप्रयुक्त ग्रीनफील्ड खदानों में लौह अयस्क खनन को तेज करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि आवंटित खदानों और देश के संसाधनों का समुचित उपयोग किया जाए।

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्‍यम से मुंबई के बॉम्बे एक्जीबिशन सेंटर में सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय इस्पात कार्यक्रम ‘इंडिया स्टील-2025’ का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर अप्रयुक्त ग्रीनफील्ड खदानों के मुद्दे को संबोधित करने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पिछले दशक में महत्वपूर्ण खनन सुधार पेश किए गए हैं, जिससे लौह अयस्क की उपलब्धता आसान हो गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि आवंटित खदानों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए ताकि देश के संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। इस प्रक्रिया में देरी से उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की चेतावनी देते हुए मोदी ने इस चुनौती से निपटने के लिए ग्रीनफील्ड खनन प्रयासों में तेजी लाने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने शून्य आयात के लक्ष्य और शुद्ध निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में 25 मिलियन टन स्टील निर्यात करने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है और 2047 तक उत्पादन क्षमता को 500 मिलियन टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखता है। उन्होंने नई प्रक्रियाओं, ग्रेड और स्केल के लिए स्टील क्षेत्र को तैयार करने के महत्व पर जोर दिया और उद्योग से भविष्य के लिए तैयार मानसिकता के साथ विस्तार और उन्नयन करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने स्टील सेक्टर को भारत की प्रगति का आधार बताया और कहा कि आज भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी को सिद्ध करने में जुटा है और इस लक्ष्य को साधने में स्टील सेक्टर की भी भूमिका कम नहीं है। हमें गर्व है कि आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक बन चुका है। हमने नेशनल स्टील पॉलिसी के तहत 2030 तक 300 मिलियन टन का उत्पादन तय किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारी स्टील इंडस्ट्री अपने भविष्य को लेकर नए भरोसे से भरी हुई है, क्योंकि आज देश के पास पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान जैसा आधार है। पीएम गति शक्ति के जरिए अलग अलग यूटिलिटी सर्विस को लॉजिस्टिक मोड को इंटीग्रेट किया जा रहा है। देश के माइन एरिया और स्टील यूनिट्स को बेहतर मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के लिए मैप किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हमने तय किया है कि सरकारी इमारतों के निर्माण में मेड इन इंडिया स्टील का इस्तेमाल किया जाएगा। ये प्रयास इस बात को उजागर करते हैं कि सरकार से जुड़ी पहल इमारत निर्माण और बुनियादी ढांचे में स्टील की खपत में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से हैं। स्टील कई अन्य क्षेत्रों में भी एक प्राथमिक घटक है। यही कारण है कि स्टील उद्योग से जुड़ी हमारी नीतियां अन्य उद्योगों को भी वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बना रही हैं।

उन्होंने कहा कि भारत लंबे समय तक हाई ग्रेड स्टील के आयात पर निर्भर रहा है। डिफेंस और स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स के लिए इस स्थिति को बदलना जरूरी था। आज हमें गर्व होता है कि भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने के जिस स्टील का इस्तेमाल हुआ है, वो भारत में बना है। हमारे ऐतिहासिक चंद्रयान मिशन की सफलता में भारतीय स्टील का सामर्थ्य जुड़ा है। आज कैपेबिलिटी और कॉन्फिडेंस दोनों हमारे पास है।

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