प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कॉलेज डिग्री के संबंध में कथित टिप्पणियों से जुड़े आपराधिक मामले में तत्काल सुनवाई का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह का अनुरोध गुजरात उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा ठुकराये जाने के बाद इस मामले में मुख्य न्यायाधीश ने भी हस्तक्षेप करने से शु्क्रवार को इनकार कर दिया।
इससे पहले दिन में, आप नेताओं के वकील ओम कोटवाल ने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे सी दोशी से संपर्क किया और मामले में निचली अदालत द्वारा जारी समन को रद्द करने के अनुरोध वाली उनकी याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।
वकील ने न्यायमूर्ति दोशी को बताया कि उनकी याचिकाएं वाद सूची में सबसे नीचे सूचीबद्ध हैं और दिन के दौरान उन पर सुनवाई होने की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने सांसदों और विधायकों से संबंधित मामलों को प्राथमिकता देने के बारे में उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का हवाला भी दिया।
कोटवाल ने यह भी बताया कि उच्च न्यायालय के रोस्टर नियमों के ‘नोट नंबर 9’ में कहा गया है कि ऐसे मामलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हालांकि जब न्यायमूर्ति दोशी ने अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया, तो वकील कोटवाल ने भोजनावकाश के बाद मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल का रुख किया।
जब मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें संबंधित पीठ से संपर्क करने के लिए कहा, तो वकील कोटवाल ने कहा कि पिछली तारीखों और शुक्रवार को भी अनुरोध के बावजूद मामले पर सुनवाई नहीं की गई। कोटवाल ने कहा, ‘‘आज पांचवीं तारीख थी, लेकिन मामले की सुनवाई नहीं हुई।’’
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम क्या कर सकते हैं?….मैं किसी अन्य पीठ के न्यायिक बोर्ड का प्रबंधन नहीं कर सकती। कुछ बाधाएं हैं….मैं आपकी मदद नहीं कर सकती। आप संबंधित पीठ से अनुरोध करें। यह मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर है। मुख्य न्यायाधीश के लिए अजीब स्थिति उत्पन्न न करें। क्षमा करें।’’
न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा कि वह केवल निरस्त किये जाने संबंधी याचिकाओं की सुनवाई के लिए समर्पित पीठ का गठन करेंगी, जैसे हाल ही में जमानत मामलों की सुनवाई के लिए नयी पीठें गठित की गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जमानत (मामलों) के इस दबाव को खत्म हो जाने दीजिए, फिर मैं निरस्त किये जाने की अर्जियों के लिए भी पीठों का गठन करूंगी। इसलिए चिंता न करें।’’
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और आप के राज्यसभा सदस्य सिंह ने सत्र अदालत के 14 सितंबर के उस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जिसने दोनों के खिलाफ गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में निचली अदालत (मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट) के समन के खिलाफ उनके पुनरीक्षण आवेदन को खारिज कर दिया था और मुकदमे पर अस्थायी रूप से रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
जब आप नेता सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय पहुंचे, तो एक न्यायाधीश ने उन्हें प्राथमिकता पर सुनवाई प्रदान करने से इनकार कर दिया था।
अहमदाबाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल द्वारा दायर मानहानि मामले में केजरीवाल और सिंह को 15 अप्रैल को तलब किया था।
विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री मोदी की कॉलेज की डिग्री का विवरण प्रदान करने का मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किये जाने के बाद आप के दोनों नेताओं की टिप्पणियों को लेकर शिकायत दायर की गई थी।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि दोनों नेताओं ने एक संवाददाता सम्मेलन में और अपने ट्विटर हैंडल (अब एक्स) पर विश्वविद्यालय को निशाना बनाते हुए “अपमानजनक” बयान दिए।
रजिस्ट्रार की शिकायत में कहा गया है कि उनके बयान व्यंग्यात्मक प्रकृति के थे और जानबूझकर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए दिए गए थे।