पीएम मोदी के समान नागरिक संहिता पर बयान के बाद विपक्ष में इसको लेकर हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक प्रतिक्रियाएं बहुत तेजी से आने लगी हैं। इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (युनाइटेड) ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।

जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि हमारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रधानमंत्री के बयान पर असंतोष व्यक्त किया है। हमारी पार्टी इसे आगामी आम चुनावों के लिए एक ‘राजनीतिक स्टंट’ मानती है।

केसी त्यागी ने कहा कि पीएम मोदी के बयान का अल्पसंख्यकों के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है। यह हमेशा याद रखना जरूरी है कि हमारा देश विभिन्न धर्मों और जातीय समूहों के लिए कानूनों और शासन सिद्धांतों के संबंध में एक नाजुक संतुलन पर आधारित है।

परामर्श के माध्यम से ठोस निष्कर्ष प्राप्त किए बिना, विभिन्न धार्मिक समूहों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सहमति के बिना, यूसीसी लागू करने का कोई भी प्रयास, सामाजिक घर्षण और धर्म की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी पर विश्वास का ह्रास पैदा कर सकता है।

भारत की सबसे बड़ी मुस्लिम संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने बुधवार को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के बारे में मुसलमान अपनी राय रखेंगे। लेकिन उनकी बात सुने जाने की उम्मीद कम है।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने खुले तौर पर कहा है कि मुसलमानों के धार्मिक अधिकार छीन लिए जाएंगे, तो कोई क्या कर सकता है। मौलाना मदनी ऑल-इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के भी सदस्य हैं, जिन्होंने पीएम मोदी के समान नागरिक संहिता पर जोर देने के बाद कल रात एक आपातकालीन बैठक की थी।

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