आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को लोकसभा में कहा कि विपक्षी दल के माथे से यह कलंक कभी नहीं मिट सकेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने सदन में ‘संविधान के 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा का जवाब देते हुए नेहरू-गांधी परिवार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस परिवार ने हर स्तर पर संविधान को चुनौती दी।
उन्होंने आपातकाल का उल्लेख करते हुए कहा, दुनिया में जब भी लोकतंत्र की चर्चा होगी तो कांग्रेस के माथे से कभी यह कलंक मिट नहीं सकेगा क्योंकि लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था। भारतीय संविधान निर्माताओं की तपस्या को मिट्टी में मिलाने की कोशिश की गई थी।
मोदी ने कहा, कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। इस परिवार ने हर स्तर पर संविधान को चुनौती दी। मैं इसलिए भी इस परिवार की चर्चा करता हूं कि 75 साल की इस यात्रा में 55 साल एक ही परिवार ने राज किया है, इसलिए क्या-क्या हुआ है, देश को ये जानने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू का अपना संविधान चलता था और इसलिए उन्होंने अपने समय के वरिष्ठ महानुभावों की सलाह भी नहीं मानी।
मोदी ने कहा, करीब छह दशक में 75 बार संविधान बदला गया, जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री जी ने बोया था उस बीज को खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया, उनका नाम था श्रीमती इंदिरा गांधी।
उन्होंने कहा, 1971 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था, उस फैसले को संविधान बदलकर पलट दिया गया और हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि नेहरू-गांधी परिवार की वर्तमान पीढ़ी भी संविधान की कितना सम्मान करती है, यह बात किसी से छिपी नहीं है।
कांग्रेस के एक युवा नेता ने केंद्र सरकार की कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए एक निर्णय को प्रेस के समक्ष फाड़ दिया था। उन्होंने कहा, इससे पता चलता है कि इस परिवार के मन में संविधान के प्रति कितना सम्मान है। मोदी ने कहा, कांग्रेस के मुंह ऐसा खून लग गया कि वह समय समय पर संविधान का शिकार करती रही और संविधान की आत्मा को लहू-लुहान करती रही।
मोदी ने कहा, संविधान विविधता में एकता की भावना का संदेश देता है, लेकिन आजादी के बाद एकता के मूल भाव पर प्रहार किया गया।
उन्होंने कहा, मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि संविधान निर्माताओं के दिमाग में तो एकता की भावना थी, लेकिन आजादी के बाद देश की एकता के मूल भाव पर प्रहार हुआ और गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोग विविधता में एकता की जगह विरोधाभास खोजते रहे।
मोदी ने कहा, हमारी सरकार के निर्णयों में लगातार भारत की एकता को मजबूती देने का प्रयास किया जाता रहा है। अनुच्छेद 370 एकता में रुकावट बना हुआ था और इसलिए हमने उसे जमीन में गाड़ दिया।
पेश किए 11 संकल्प
1. चाहे नागरिक हो या सरकार, सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें।
2. हर क्षेत्र, हर समाज को विकास का लाभ मिले, सबका साथ-सबका विकास हो।
3. भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस हो, भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता न हो।
4. देश के कानून, देश के नियम, देश की परंपराओं के पालन में देश के नागरिकों को गर्व का भाव हो।
5. गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो, देश की विरासत पर गर्व हो।
6. देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिले।
7. संविधान का सम्मान हो, राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार न बनाया जाए।
8. संविधान की भावना के प्रति समर्पण रखते हुए जिनको आरक्षण मिल रहा है, उनका आरक्षण न छीना जाए और धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश पर रोक लगे।
9. महिलाओं के नेतृत्व में भारत दुनिया के लिए मिसाल बने।
10. राज्यों के विकास से राष्ट्र का विकास हमारे विकास का मंत्र हो।
11. ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत‘ का ध्येय सवरेपरि हो।