मणिपुर मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग पर विपक्षी दलों और सरकार के बीच जारी गतिरोध मंगलवार को भी बरकरार रहा। सदन में जारी हंगामे और नारेबाजी के कारण लोकसभा की कार्यवाही दोपहर बाद 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर मंगलवार को भी पिछले कुछ दिनों की तरह गतिरोध बरकरार रहा और विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब 15 मिनट बाद दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।
कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू कराया, उसी समय विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर जल्द चर्चा कराने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब की मांग करते हुए हंगामा करने लगे। हाथों में तख्तियां लिए हुए कई विपक्षी सांसद आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।
हंगामे के बीच ही पंचायती राज्य मंत्री कपिल पाटिल और कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने अपने मंत्रालयों से संबंधित पूरक प्रश्नों के उत्तर दिए।
सदन में नारेबाजी लगातार जारी रहने पर बिरला ने सदन की कार्यवाही 11 बजकर करीब 15 मिनट पर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही अब तक बाधित रही है।
कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच गत बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी। उस दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तिथि तय करेंगे।
मणिपुर मुद्दे पर राज्यसभा में गतिरोध कायम, कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित
मणिपुर में हिंसा मुद्दे पर मंगलवार को भी राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया जिसकी वजह से उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने के 25 मिनट बाद दोपहर 12 बजे के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हो पर सभापति सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन के सदस्य अयोध्या रामी रेड्डी को उनके जन्मदिन की बधाई दी। उसके बाद उन्होंने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।
इसके बाद सभापति ने सदन में लगातार व्यवधान पर अफसोस जताया और कहा कि यह आचरण उच्च सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि हंगामे की वजह से ‘‘हम जनता में उपहास के पात्र बन रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि आज उन्हें कुल 16 नोटिस मिले हैं जो उचित प्रारूप में नहीं हैं, इसलिए उन्हें नामंजूर कर दिया गया है।
सभापति ने मणिपुर मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अल्पकालिक चर्चा की मंजूरी दी थी और 31 जुलाई को उसके लिए समय निर्धारित किया गया था लेकिन सदन में हंगामे की वजह से चर्चा नहीं हो सकी।
उन्होंने गतिरोध दूर करने के लिए कल विभिन्न दलों के साथ उनकी बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि विपक्षी सदस्य इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इस क्रम में 2014 में वरिष्ठ सदस्य सीताराम येचुरी की एक मांग पर आसन द्वारा दी गई व्यवस्था का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार में सामूहिक जिम्मेदारी होती है।
इस दौरान विपक्षी सदस्य मणिपुर मुद्दे को लेकर हंगामा और नारेबाजी करते रहे। वे प्रधानमंत्री से सदन में आने की भी मांग कर रहे थे।
हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से शांत होने की अपील करते हुए धनखड़ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वे इस संबंध में चर्चा नहीं चाहते हैं।
सदन में हंगामा थमते नहीं देख उन्होंने 11 बजकर 25 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।