कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र ने एजेंडा साझा किए बिना संसद का विशेष सत्र बुलाया है और कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सत्र के बारे में नौ मुद्दे उठाये हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “सोनिया गांधी की अध्‍यक्षता में (कांग्रेस की) संसदीय रणनीति समूह की एक बैठक मंगलवार को हुई जिसमें संसद के विशेष सत्र के एजेंडे पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल हुए। बाद में खड़गे ने लोकसभा और राज्यसभा के सदन के नेताओं की बैठक बुलाई और सत्र के दौरान ‘इंडिया’ गठबंधन की रणनीति पर चर्चा की गई।”

उन्होंने कहा, “यह निर्णय लिया गया कि हम सत्र का बहिष्कार नहीं करेंगे क्योंकि यह हमारे लिए मुद्दों को उठाने का एक अवसर है और हम कोशिश करेंगे कि विभिन्न दल अलग-अलग मुद्दे उठाएँ।” उन्होंने आगे कहा कि यह भी निर्णय लिया गया कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगी और ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक के दौरान जो भी चर्चा हुई है उससे उन्हें अवगत कराया जाएगा।

रमेश ने कहा, “सोनिया गांधी ने बुधवार सुबह प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है और नौ मुद्दे उठाए हैं जिन्हें हम संसद में उठाना चाहते हैं।”

कांग्रेस नेता ने बताया कि सोनिया गांधी ने लिखा है कि 18 सितंबर से आहूत संसद का विशेष सत्र अन्य राजनीतिक दलों के साथ किसी परामर्श के बिना बुलाया गया है और किसी को भी इसके एजेंडा के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

सीपीपी अध्यक्ष ने पत्र में लिखा है, “हम निश्चित रूप से विशेष सत्र में भाग लेना चाहते हैं क्योंकि इससे हमें सार्वजनिक चिंता और महत्व के मामलों को उठाने का मौका मिलेगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि इन मुद्दों पर चर्चा और बहस उचित नियमों के तहत समय आवंटित किया जाएगा।”

सोनिया गांधी ने कहा कि वह वर्तमान आर्थिक स्थिति का मुद्दा सदन में उठाना चाहती हैं जिनमें आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतें, बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ती असमानता और एमएसएमई का संकट, भारत सरकार द्वारा न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को लेकर किसानों और किसान संगठनों के प्रति की गई प्रतिबद्धता और उनकी अन्‍य मांगों तथा अडाणी समूह के लेनदेन पर संयुक्‍त संसदीय समिति की मांग शामिल है।

अन्य पांच मांगों को सूचीबद्ध करते हुए, उन्होंने कहा कि मणिपुर के लोगों की निरंतर पीड़ा और राज्य में संवैधानिक मशीनरी और सामाजिक सद्भाव का टूटना, हरियाणा तथा अन्‍य राज्यों में सांप्रदायिक तनाव में वृद्धि, चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र पर लगातार कब्जा और लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में सीमाओं पर हमारी संप्रभुता के लिए चुनौतियों पर भी चर्चा की आवश्‍यकता है।

उन्होंने कहा, “जाति जनगणना की तत्काल आवश्यकता है। केंद्र-राज्य संबंधों को नुकसान हो रहा है। कुछ राज्यों में अत्यधिक बाढ़ और अन्य में सूखे के कारण प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव है।”

सोनिया गांधी ने अपने पत्र में उम्मीद जताई कि ”रचनात्मक सहयोग की भावना से” इन मुद्दों को आगामी विशेष सत्र में उठाया जाएगा।

रमेश ने यह भी कहा कि तमिलनाडु का नीट, महाराष्ट्र का आरक्षण मुद्दा जैसे राज्यों के कई मुद्दों का जिक्र भी पत्र में किया गया है। उन्‍होंने ने कहा, “हमें उम्मीद है कि हमें सरकार से जवाब मिलेगा और संसद का सत्र केवल सरकारी कामकाज पर नहीं होना चाहिए जो दुर्भाग्यपूर्ण है।”

इस सवाल पर कि पीएम मोदी ने कहा है कि वह अगले साल आम चुनाव में फिर से चुने जाएंगे, रमेश ने कहा, “प्रधानमंत्री घबरा गए हैं और वह अत्यधिक थकान में हैं। उनके सभी कार्य मृत एनडीए को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है, ‘इंडिया’ गठबंधन के गठन पर उनकी प्रतिक्रिया और विशेष सत्र बुलाने के एकतरफा फैसले से पता चलता है कि वह घबरा गए हैं।”

रमेश ने कहा, “बिहार के पटना, कर्नाटक के बेंगलुरु और महाराष्ट्र की मुंबई बैठक के बाद वह घबरा गए हैं और उनकी थकान और घबराहट साफ दिखाई दे रही है।”

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