तेलंगाना देश की मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। केंद्र की सहायता के बिना भी अपने दम पर इस राज्य की विकास यात्रा अनोखी है। सीएजी ने अपनी पहली ही तिमाही रिपोर्ट में बता दिया है कि कैसे तेलंगाना आर्थिक रूप से सबल और सक्षम होता जा रहा है। यह अपने ही संसाधनों के दम पर आर्थिक मजबूती हासिल कर रहा है।
सरकार जो भी राजस्व खर्च कर रही है, उसका अधिकांश हिस्सा आम लोगों के कल्याण और प्रदेश के विकास के लिए हो रहा है। यही वजह है कि आज यह युवा प्रदेश वित्तीय प्रबंधन के आदर्श के रूप में खड़ा हुआ है।
यह सब इसलिए संभव हो पा रहा है, क्योंकि तेलंगाना सरकार बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से आर्थिक मजबूती की ओर कदम बढ़ा रही है। वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाई रिपोर्ट में सीएजी का अनुमान है कि यह राज्य विभिन्न स्रोतों से 2,59,861.91 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त करेगा। अप्रैल, मई और जून के तीन महीनों में कुल 50,910.11 करोड़ रुपए सरकारी खजाने तक पहुंच चुके हैं।
इसका मतलब ये हुआ कि बजट में आमदनी का जो अनुमान जाहिर किया गया था, उसका लगभग 20 फीसदी हिस्सा पहले ही जमा हो चुका है। साल 2022-23 के बजट में 2,45,256.61 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्ति का अनुमान था। लेकिन, पिछले वित्त वर्ष में जून तक मात्र 43,550.51 करोड़ रुपए ही प्राप्त हुए थे। इस तरह से राज्य सरकार की आमदनी पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इस अवधि में 7,359.6 करोड़ रुपए ज्यादा है।
केंद्र भले ही तेलंगाना के साथ भेदभाव कर रहा हो, लेकिन इसकी वजह से राज्य अपने दम पर आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहा है। प्रदेश के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत जीएसटी है। बिक्री कर से 7,532.96 करोड़ रुपए, केंद्रीय करों के हिस्से से 2,988.88 करोड़ रुपए और गैर-कर मदों से 1,488.10 करोड़ रुपए का राजस्व जुटाया गया है।
अगर सरकार के मुख्य खर्चों पर नजर डालें तो राजस्व खाता व्यय 15,406.89 करोड़ रुपए है। राज्य ने मजदूरी पर 9,796.83 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। वहीं विभिन्न पेंशन मदों पर 4,158.57 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में तेलंगाना को 50,942.49 करोड़ रुपए जीएसटी से प्राप्त होने का अनुमान है। जिसमें पहली तिमाही में 11,418.47 करोड़ रुपए मिले हैं। जबकि बजट अनुमानों में जीएसटी का हिस्सा 22 फीसदी दर्ज किया गया था।
राज्य वित्त विभाग का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में स्टांप और रजिस्ट्रेशन शुल्क से 18,500 करोड़ रुपए की आमदनी होगी। जून तक इस मद से 3,510.63 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। कुल मिलाकर राज्य ने जून तक में राजस्व के तौर पर कुल 50,910.11 करोड़ रुपए जोड़े हैं और 47,290.64 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
पिछले वित्त वर्ष में राज्य वित्त विभाग का अनुमान था कि जीएसटी से 42,189.47 करोड़ रुपए मिलेंगे। उस साल जून तक इससे 9,645.14 करोड़ रुपए की आय हुई थी। ऐसे में अगर पिछले साल से तुलना करें तो पहली तिमाही में जीएसटी राजस्व 1,773.33 करोड़ रुपए अधिक है।
9 वर्षों का इतिहास टटोल कर देख लीजिए। तेलंगाना ने जिस तरह से सूझबूझ के साथ कदम बढ़ाए हैं, उसकी वजह से यह नया प्रदेश साल-दर-साल आर्थिक रूप से सशक्त बनता जा रहा है। मौजूदा वित्त वर्ष की आर्थिक विकास यात्रा भी उसी दिशा में प्रगति के पथ पर जारी है।