‘सिंदूर ऑपरेशन’ की जीत पर मां ने कहा—अबकी बार नामो-निशां नहीं बचेगा

सीने पर गोली खाकर शहीद हुआ बेटा

मीरजापुर, 10 मई (हि.स.)। गौरा गांव की माटी में जन्मा लाल जब 17 अगस्त 2020 को बारामूला की बर्फीली वादियों में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुआ, तो पूरे इलाके की आंखें नम थीं। लेकिन आज जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता की खबर आई, तो उस शहीद की मां रेखा देवी की आंखों में नमी नहीं, बल्कि गर्व की चमक थी।

रेखा देवी ने बेटे को खोने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी। देश की सीमा पर लड़ रहे जवानों को दुआएं देते हुए कहा—बेटा गया है, पर देश बचा है। अबकी बार आतंकियों का नामो-निशां नहीं बचेगा। उनका इकलौता बेटा रवि सिंह मात्र 25 वर्ष का था, जब उसने आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान सीने पर गोली खाकर शहादत दी थी। लेकिन आज भी वह मां अपने बेटे की तरह ही हर सैनिक को अपना बेटा मानती है।

उन्होंने गर्व से कहा— जिस तरह हमारे वीर सैनिकों ने दुश्मनों के अड्डों को ध्वस्त किया है, उसे देख मेरे कलेजे को ठंडक मिल गई। बेटा तो चला गया, पर उसकी शहादत बेकार नहीं गई।

रेखा देवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय सेना के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा किआज अगर रवि होता तो सबसे पहले सलाम करता इन जांबाजों को। मैं तो सिर्फ आशीर्वाद दे सकती हूं—विजयी भव! शहीद की मां की ये बातें सुनकर गांव वालों की आंखें फिर भर आईं, लेकिन इस बार आंसुओं के पीछे गर्व था, न कि ग़म। सचमुच, ऐसे घरों में जन्मे बेटे देश के लिए वरदान होते हैं।

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