लखनऊ। उत्तर प्रदेश शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण मामले की जांच के लिए गठित विशेष आयोग ने अपनी अंतिम रिपोटर् दे दी है। उच्चतम न्यायालय इस मामले में 24 मार्च को सुनवाई करेगा और उसके बाद राज्य में चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने का रास्ता साफ होने की संभावना बढ़ गई है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ के समक्ष बुधवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए इस मामले पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया।

मेहता ने ‘ विशेष उल्लेख’ के दौरान आयोग की रिपोर्ट आने की जानकारी देते हुए यह अनुरोध किया। पीठ के समक्ष उन्होंने कहा कि वैसे तो आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, लेकिन इसने तीन महीने के भीतर ही अपनी रिपोटर् को अंतिम रूप दे दिया। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह के नेतृत्व वाले आयोग ने इसी महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और राज्य के शहरी विकास मंत्री ए. के. शर्मा और शहरी विकास विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में रिपोर्ट सौंप दी थी। आयोग के चार अन्य सदस्यों – सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार तथा राज्य के पूर्व अतिरिक्त कानून सलाहकार संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं।

दावा किया गया है कि आयोग ने तीन महीने से भी कम समय में राज्य के सभी 75 जिलों का दौरा करने के बाद अपनी रिपोटर् तैयार की है। यह बताया गया कि आयोग ने पांच दिसंबर 2022 को अधिसूचित शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर कई विसंगतियां पाईं और उन्हें हटाने की सिफारिश की। शीर्ष अदालत ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण दिए बिना राज्य के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों को कराने के लिए उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर दिए गए निर्देश पर चार जनवरी 2023 को रोक लगा दी थी।

शीर्ष अदालत ने रोक लगाते हुए कहा था कि अनुच्छेद 243-टी के तहत नगरपालिकाओं का लोकतंत्रीकरण करना और नगरपालिकाओं की संरचना में उचित प्रतिनिधित्व देना दोनों ही संवैधानिक आदेश हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत को तब कहा था कि उसने ओबीसी के प्रतिनिधित्व के लिए आंकड़े एकत्र करने हेतु एक समर्पित आयोग का गठन किया है। शीर्ष अदालत के पूर्व के एक आदेश -‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले’का पालन किए बिना राज्य में ओबीसी आरक्षण के मसौदे को तैयार करने को अदालत में चुनौती दी गई थी और शीर्ष अदालत ने इसकी सुनवाई के बाद चुनाव पर रोक लगाई थी।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights