आरबीआई गवर्नर मल्‍होत्रा ने कहा- अब रेपो रेट में और कटौती की गुंजाइश काफी कम

नई दिल्ली, 06 जून (हि.स)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि रेपो रेट में 0.50 फीसदी कटौती करने की घोषणा के बाद इसमें आगे और कम करने की बहुत कम गुंजाइश दिख रही है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक में नीतिगत दर को आधा फीसदी घटाकर 5.5 फीसदी पर लाने का फैसला किया गया है। रिजर्व बैंक फरवरी से लेकर अबतक रेपो रेट में एक फीसदी की कटौती कर चुका है।

संजय मल्‍होत्रा ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद मुंबई में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भविष्य की मौद्रिक नीति कार्रवाई आने वाले आंकड़ों पर निर्भर करेगी। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मौद्रिक नीति के लिए अब बहुत सीमित गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान लगभग 6.5 फीसदी है, जबकि हम महंगाई दर के इस साल 3.7 फीसदी और अगले वर्ष के लिए चार फीसदी से अधिक रहने का अनुमान लगा रहे हैं। यदि यह सब होता है, तो फिर रेपो रेट में कटौती की बहुत सीमित गुंजाइश है।

आरबीआई गवर्नर ने उम्मीद जताई कि रेपो रेट में कटौती का आर्थिक वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में ही नजर आएगा। मल्‍होत्रा ने कहा, ‘‘हम आने वाले आंकड़ों पर नजर रखना जारी रखेंगे और मुख्य रूप से वही कदम उठाएंगे, जो आंकड़े हमें सुझाएंगे।’’ उन्‍होंने कहा कि ताजा कटौती के बाद रेपो दर पिछले तीन साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।

पिछले रुझानों की तुलना में इस बार प्रमुख नीतिगत ब्‍याज दर में कटौती का ग्राहकों के स्तर पर रूपांतरण कहीं अधिक तेजी से होगा। उन्होंने कहा कि भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है और विदेशी निवेशकों द्वारा अपना पैसा वापस भेजने के मामले में वृद्धि एक परिपक्व बाजार का संकेत है। यह दर्शाता है कि विदेशी निवेशक भारत में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं और बाहर निकल सकते हैं।

उन्‍होंने कहा कि सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह मजबूत बना हुआ है। यह वित्‍त वर्ष 2024-25 में करीब 14 फीसदी बढ़कर 81 अरब डॉलर हो गया, जो इससे पिछले वित्‍त वर्ष में 71.3 अरब डॉलर था। हालांकि, शुद्ध एफडीआई प्रवाह वित्‍त वर्ष 2024-25 में घटकर 40 करोड़ डॉलर रह गया है, जो एक साल पहले 10.1 डॉलर था। आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआआर) एक फीसदी घटाने की घोषणा की, इससे बैंकों के पास 2.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने इससे पूर्व फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 0.25-0.25 फीसदी की कटौती की थी।

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