राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने नक़ली भारतीय नोटों के वितरण के मामले में चार्जशीट दाख़िल कर दी है। 2019 में सूरत में नक़ली नोटों की खेप बरामद की गई थी। नक़ली नोटों के प्रसार में शामिल एक मुख्य तस्कर के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल कर दी गई।
नक़ली नोटों के कारोबार के तार बिहार के कई इलाकों से जुड़े हैं सूरत नक़ली भारतीय नक़ली नोट केस का आरोपी अब्दुल ग़फ़्फ़ार उर्फ़ ग़फ़्फ़ार भाई बिहार के कटिहार का रहने वाला है। 2019 में नक़ली नोटों की खेप बरामद होने के बाद से ग़फ़्फ़ार लगातार फ़रार चल रहा था। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण की टीमें इसके पीछे लगी हुई थी। 22 फ़रवरी 2024 को अब्दुल को गुजरात के अहमदाबाद से गिरफ़्तार कर लिया गया।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने इस पूरे मामले की जाँच में पाया कि अब्दुल ग़फ़्फ़ार देश के कई नक़ली नोटों का ग़ैरक़ानूनी धंधा करने वाले गैंग से ताल्लुक़ रखता है। ग़फ़्फ़ार, विदेशों से भेजे गए नक़ली नोटों को देश के अलग अलग हिस्सों में पहुँचाता था। ये नक़ली नोटों के अलग अलग गैंग से नक़ली नोट फैलाने के बदले मोटी कमाई कर रहा था।
साल 2015 में ग़फ़्फ़ार को नक़ली नोटों की तस्करी के दो मामलों में पहले भी सजा हो चुकी है। उसे मुज़फ़्फ़रपुर की आर्थिक अपराध से जुड़ी विशेष अदालत ने तीन साल की कठोर सजा दी थी। सजा पूरी होने के बाद ये सूरज आकर फिर से नक़ली नोटों के कारोबार में लिप्त हो गया। ये बिहार के बाद पूरे गुजरात में हाफ़िज़ मालदा नाम के तस्कर के साथ मिलकर नक़ली नोट का कारोबार करने लगा।
इसी मामले में आर्थिक अपराध जाँच शाखा ने सूरत रेलवे स्टेशन से विनोद निषाद उर्फ़ विनोद साहनी नाम के शख़्स को गिरफ़्तार किया गया था इसके पास से 2, लाख रुपये के नक़ली नोट बरामद किए गए थे विनोद साहनी सूरत यही महफ़ूज़ शेखर को ये नक़ली नोट देने वाला था। DRI ने बाद में महफ़ूज़ शेखर को भी गिरफ़्तार कर लिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े से जुड़ा मामला होने के नाते इसे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण NIA को सौंप दिया गया था इस मामले में विनोद साहनी और महफ़ूज़ से के ख़िलाफ़ जो चार्जशीट दाख़िल हुई थी उसके बाद दोनों को सज़ा हुई थी विनोद साहनी और महफ़ूज़ से को 7 सात साल की कठोर सजा हुई थी दोनों पर दस दस हज़ार रुपये जुर्माना भी लगाया गया था। अब इस मामले का मुख्य आरोपी अब्दुल ग़फ़्फ़ार भी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण की गिरफ्त में है।
अभी इस पूरे मामले के कई गाएंगे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के रडार पर हैं कई तस्कर फ़रार चल रहे हैं जिन्हें गिरफ़्तार करने के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण वितरण की कई टीमें लगायी गई हैं।