पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में चल रही अशांति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी – NHRC) ने बुधवार को मुख्य सचिव बी.पी. गोपालिका और कार्यवाहक डीजीपी राजीव कुमार को नोटिस भेजा और उनसे अगले चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

त्रों ने बताया कि नोटिस में गोपालिका और कुमार से कुछ स्थानीय तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर यौन उत्पीड़न और हिंसा का आरोप लगाने वाली स्थानीय महिलाओं के विरोध प्रदर्शन पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाइयों का ब्‍योरा मांगा गया है।

पता चला है कि आयोग वहां की स्थिति की समीक्षा के लिए संदेशखाली में एक फील्ड निरीक्षण दल भी भेजेगा।

इससे पहले बुधवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी -NCST) ने भी मुख्य सचिव और कार्यवाहक डीजीपी को इसी तरह का नोटिस भेजकर अगले तीन दिनों के भीतर संदेशखली पर रिपोर्ट मांगी थी।

एनसीएसटी की फील्ड निरीक्षण टीम गुरुवार को संदेशखाली का दौरा करने वाली है।

एनसीएसटी, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के बाद एनएचआरसी संदेशखली मामले में सीधे हस्तक्षेप करने वाला पांचवां केंद्रीय आयोग है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि संदेशखाली में चल रहे संकट की प्रकृति इतनी विविध है कि इसने मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कई केंद्रीय आयोगों के लिए रास्ते खोल दिए हैं।

चूंकि मुख्य मामला यौन उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित है, इसलिए एनसीडब्ल्यू (NCW) ने इस मामले में सही कदम उठाया है।

दूसरे, चूंकि कई कथित पीड़ित – अवैध भूमि कब्ज़ा और यौन उत्पीड़न दोनों मामलों में एससी और एसटी समुदायों से हैं, एनसीएससी और एनसीएसटी दोनों ने हस्तक्षेप किया है।

शहर के एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, “इसके अलावा, हाल ही में एक शिशु को उसकी मां की गोद से छीनकर लापरवाही से फेंक दिए जाने की घटना ने एनसीपीसीआर को इस मामले में कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।”

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