जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद, भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर के बयानों ने काफी विवाद खड़ा किया है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा व्याप्त है। इसी संदर्भ में, नेहा राठौर ने एक वीडियो के माध्यम से मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। उनका मानना है कि सरकार इस हमले का इस्तेमाल आगामी बिहार चुनाव में वोट बटोरने हेतु करेगी। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिससे विभिन्न प्रतिक्रियाएं आईं हैं। कुछ लोगों ने उनके समर्थन में आवाज उठाई, जबकि अनेक लोगों ने ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी।

नेहा के वीडियो में उन्होंने कहा कि, “एक फोन पर दूसरे देशों की युद्ध रुकवाने वाले लोग अपने देश में आतंकी हमले नहीं रोक पा रहे। फिर हमें किस बात पर सवाल नहीं पूछना चाहिए?” उन्होंने सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि 2000 पर्यटकों की सुरक्षा का जिम्मा किसका था। नेहा ने यह भी स्पष्ट किया कि “मोदी जी से सवाल पूछना देशद्रोह नहीं है,” और यह उनका अधिकार है। इस वीडियो के बाद उनकी गिरफ्तारी की संभावना पर भी चर्चा होने लगी। पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें 11 धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराएं शामिल हैं।

लखनऊ में दर्ज एफआईआर के अनुसार, नेहा के खिलाफ कई धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें से कुछ गंभीर हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि अगर जांच में उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो उनकी गिरफ्तारी संभव है। नेहा के समर्थकों का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना था, जबकि विपक्षी दलों का आरोप है कि उन्हें इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए। इसके अलावा, पाकिस्तान ने भी नेहा के वीडियो को अपने तरीके से भुनाया है, जिससे मामला और संवेदनशील हो गया है।

नेहा सिंह राठौर, जो बिहार के कैमूर जिले की रहने वाली हैं, जनवरी 2022 में सबसे पहले चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान स्थानीय मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखी थी। उनका गाना “यूपी में का बा” उस समय काफी हिट हुआ था, जिसमें उन्होंने सरकार की नीतियों और कानून व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष किया था। यह स्पष्ट है कि नेहा ने अपने बयानों और गीतों के माध्यम से लगातार सरकार को घेरने का प्रयास किया है और यह सत्य है कि उन्हें विवादों के केन्द्र में रहना पसंद है।

इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या सार्वजनिक हस्तियों को अपने विचारों को व्यक्त करने का हक है, या उन्हें हमलों और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं से बचना चाहिए। नेहा के बयानों ने उस चर्चा को जन्म दिया है कि क्या उन्हें राजनीतिक मंशा से प्रेरित होकर अपनी स्थिति व्यक्त करनी चाहिए, या संवेदनशील समय पर चुप रहना चाहिए। अब देखना यह है कि आने वाले समय में उनकी स्थिति क्या होती है और क्या यह मामला कहीं और बढ़ता है या समाप्त होता है।

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