मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी का परिणाम घोषित होने के बाद से ही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NEET) के अफसर सरकार को गुमराह करते रहे और परीक्षा परिणाम में तमाम विसंगतियां साफ दिखाई दिये जाने के बावजूद सरकार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और सामने आ रहे सबूतों व छात्रों के आक्रोश को नजरांदाज करती रही।
अब जिस तरह के सबूत सामने आ रहे हैं उसके बाद भी सरकार एनटीए अधिकारियों को बचा रही है जिससे अब सरकार पर ही सवाल उठने लगे हैं।
नीट परिक्षा परिणाम के लगभग एक पखवाड़े के बाद केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धम्रेन्द्र प्रधान ने पत्रकार वार्ता बुलाकर नीट यूजी परीक्षा मामले पर सरकार की ओर से जो पक्ष रखा उससे न तो नीट यूजी परीक्षा में हुई धांधलियों से पीड़ित छात्रों को कोई राहत मिली है और न ही धम्रेन्द्र प्रधान छात्र छात्राओं का विास जीत सके हैं।
नीट यूजी परीक्षा परिणाम 4 जून को घोषित हुआ था और अगले ही दिन पेपर लीक का बवाल खड़ा हो गया था नतीजतन 6 जून को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने लंबा चौड़ा स्पष्टीकरण देते हुए पेपर लीक के आरोपों पर लीपापोती करने की कोशिश की थी।
एनटीए ने जो 6 जून को जो स्पष्टीकरण जारी किया, उस स्पष्टीकरण से भी नीट यूजी पेपर में धांधली के संकेत मिल रहे थे। इसी स्पष्टीकरण में एनटीए ने नीट यूजी की कट आफ का पिछले पांच वर्ष के आंकड़े दिये थे और यह स्वीकार किया था कि वर्ष 2024 में नीट परीक्षा पास करने वालों के औसत नंबर 720 में से 323.55 थे जबकि वर्ष 2023 में नीट यूजी पास करने वाले छात्रों के औसतन नंबर कुल 279.41 थे।
नीट पास करने के औसत नंबरों में लगभग 44 नंबर की बढ़ोतरी अपने आप में सवाल खड़े करती है क्योंकि पिछले पांच वर्ष में कभी भी ऐसा नहीं हुआ। वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में तो लगातार नीट पास करने वाले उम्मीदवारों के औसत नंबरों में कमी हुई। एनटीए ने तर्क दिया कि वर्ष 2023 की अपेक्षा वर्ष 2024 में छात्रों की संख्या बढ़ने के कारण औसत नंबरों में बढ़ोतरी हुई जबकि वास्तविकता यह है कि परीक्षा में छात्रों की संख्या हर वर्ष बढ़ती है।
एनटीए ने जो स्पष्टीकरण जारी किया, वही स्पष्टीकरण शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को भी पहुंचा दिया गया और शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्टीकरण का अध्ययन करने की जरूरत समझी और न ही नीट यूजी परीक्षा परिणाम में साफ दिखाई दे रही विसंगतियों का अध्ययन करने की जरुरत समझी।