22 मार्च को प्रातः 06ः 23 से 07ः 32 तक शुभ होगी घट स्थापना: ललित शर्मा


मुजफ्फरनगर। इस साल चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से 2023 प्रारम्भ हो रहे हैं जिसका समापन 30 मार्च 2023 को होगा। नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से उपासना की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि पूरे नौ दिन रहेंगे। इस बाद माँ दुर्गा का आगमन नौका पर हो रहा है । माँ के इस रूप को भक्तों की इच्छाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है। नवरात्रि की समाप्ति पर माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर जाएंगी।
सिविल लाइन स्थित धार्मिक संस्थान ‘विष्णुलोक’ के ज्योतिषविद् पण्डित ललित शर्मा ने बताया कि चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि बुधवार 22 मार्च 2023 से प्रारंभ हो रहे है। जिसका समापन 30 मार्च 2023 को होगा। प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 को रात्रि 10 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ हो रही है जिसका समापन 22 मार्च 2023 को रात्रि 08 बजकर 22 मिनट पर होगा। कलश स्थापना का शुभ समय प्रातः 06 बजकर 23 मिनट से प्रातः 07 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। 22 मार्च प्रातः 05 बजे की कुण्डली के अनुसार शनि और गुरु अपनी-अपनी राशि में विराजमान रहेंगे। शनि का मंगल और केतु दोनो के साथ नवपंचम योग बना हुआ है। मंगल और केतु भी एक दूसरे से पंचम और नवम भाव में विराजमान होकर शुभ है। मीन राशि में सूर्य और बुध की युति बुधादित्य योग बना रहा है । राहू भी पराक्रम भाव में विराजमान होकर योगों की शुभता में वृ(ि कर रहें हैं। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से माँ दुर्गा प्रसन्न होकर विशेष कृपा बरसाती हैं। दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नवार्ण मंत्र ‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै बिच्चे’ का पाठ अवश्य करना चाहिए। इस एक मंत्र में ऊंकार माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी और माँ काली के बीज मंत्र निहित हैं।
नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व माना जाता है. कलश स्थापना करने से घर मे सुख-समृ(ि बढ़ती है। कलश में रखे जाने वाले नारियल से घर के सदस्यों को आरोग्य की प्राप्ति होती है, माँ दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।
कलश स्थापना करते समय सबसे पहले कलश के मुख पर कलावा बाँधना चाहिए इसके बाद कलश पर स्वास्तिक बनाकर पहले गंगाजल बाद में पानी डालना चाहिए ।जल में सुपारी, अक्षत और सर्वऔषधि डालना चाहिए । कलश में पाँच आम के पत्तों की एक टहनी रखकर लाल वस्त्र में लपेटकर नारियल रखना चाहिए। क्लश को उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहिए। कलश स्थापित करते समय निम्न भंग का उच्चारण करना चाहिए- ‘‘कलशस्थ देवताभ्यो नमः ’’

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights