नासा द्वारा हाल ही में जारी सैटेलाइट इमेजरी ने दिल्ली में फैले जहरीले धुएं के खतरनाक प्रसार को उजागर किया है, जिससे विशेषज्ञों के बीच चिंताएं बढ़ गई हैं, जो अब इसे देश की राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण “संकट” के रूप में संदर्भित कर रहे हैं।

नासा वर्ल्ड व्यू के विजुअल्स में सोमवार को भारत के उत्तरी मैदानी इलाकों में धुंध की मोटी चादर छाई हुई दिखाई दी, जिससे दिल्ली के आसपास के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता अस्वास्थ्यकर स्तर तक खराब हो गई।

दिल्ली में बुधवार सुबह हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी रही और शहर भर के कई स्टेशनों पर पीएम 2.5 और कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) में वृद्धि दर्ज की गई।

बुधवार को पड़ोसी गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 382, गुरुग्राम में 370, नोएडा में 348, ग्रेटर नोएडा में 474 और फरीदाबाद में 396 था।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में आनंद विहार स्टेशन पीएम 2.5 500 के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा, जबकि सीओ 112 और एनओ2 128 पर ‘मध्यम’ श्रेणी में रहा।

बवाना स्टेशन पर पीएम 2.5 और पीएम 10, 500 (गंभीर) दर्ज किया गया, जबकि सीओ 110 (मध्यम) तक पहुंच गया।

दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय (डीटीयू) स्टेशन पर, पीएम 10 ‘गंभीर’ श्रेणी के तहत 456 पर पहुंच गया, जबकि पीएम 2.5 ‘बहुत खराब’ श्रेणी के तहत 356 पर था। सीओ को ‘मध्यम’ श्रेणी के तहत 115 पर दर्ज किया गया था।

द्वारका सेक्टर 8 के स्टेशन पर पीएम 10 465 और पीएम 2.5 457 (‘गंभीर’) दर्ज किया गया, जबकि सीओ 135 पर, मध्यम श्रेणी में दर्ज किया गया।

बता दें कि शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है। 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है।

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