नासा के पर्सीवरेंस रोवर ने एक बार फिर दुनिया भर के वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर की पश्चिमी पहाड़ियों में इस रोवर को कुछ ऐसी चट्टानें मिली हैं जो 3.9 अरब साल पुरानी हैं। इनमें से एक को वैज्ञानिक ‘सिल्वर माउंटेन’ यानी चांदी का पहाड़ कह रहे हैं। इस खोज से मंगल पर प्राचीन जीवन की संभावना को लेकर उत्सुकता काफी बढ़ गई है।

मंगल पर छिपा है 3.9 अरब साल पुराना इतिहास

नासा का पर्सीवरेंस रोवर पिछले चार साल से मंगल की सतह पर काम कर रहा है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से इसने चट्टानों की खोज और सैंपलिंग की है, उसे वैज्ञानिक सबसे तेज़ और रोमांचक खोज कह रहे हैं। रोवर ने अब तक 5 नई चट्टानों के सैंपल जमा किए, 7 पर डीप एनालिसिस किया और 83 चट्टानों को लेजर तकनीक से स्कैन किया। यह खोज जेजेरो क्रेटर की पश्चिमी कगार पर ‘विच हेजल हिल’ नाम की ऊंची चट्टान पर की गई है, जो कभी एक विशाल झील हुआ करती थी।

सिल्वर माउंटेन: मंगल पर ‘चांदी का पहाड़’

इस क्षेत्र में सबसे खास खोज रही एक ऐसी चट्टान, जिसे वैज्ञानिकों ने ‘सिल्वर माउंटेन’ नाम दिया है। यह चट्टान नोआशियन युग की है, जब मंगल की सतह पर उल्कापात की बारिश होती थी। नासा के मुताबिक यह चट्टान पहले कभी नहीं देखी गई बनावट की है और इसमें दुर्लभ खनिज मौजूद हैं। रोवर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर बताया, “मेरा 26वां सैंपल, सिल्वर माउंटेन, वाकई कुछ ऐसा है जो आज तक नहीं देखा गया।”

सर्पेंटाइन मिनरल्स: क्या मंगल पर था जीवन?

पर्सीवरेंस को एक ऐसी चट्टान भी मिली जिसमें सर्पेंटाइन मिनरल्स मौजूद हैं। ये खनिज तब बनते हैं जब ज्वालामुखी चट्टानों पर पानी की रासायनिक क्रिया होती है। इससे हाइड्रोजन गैस बन सकती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए जरूरी ऊर्जा का स्रोत मानी जाती है। इस खोज ने वैज्ञानिकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या कभी मंगल पर भी जीवन था? यह चट्टानें उस दौर की कहानी कह रही हैं जब ग्रह का वातावरण आज से बिल्कुल अलग रहा होगा।

‘विच हेजल हिल’ और उसके आसपास का इलाका अब वैज्ञानिकों के लिए ‘सोने की खान’ बन गया है। यहां पड़ी चट्टानें उस समय की हैं जब मंगल पर भारी उल्कापात हुए थे। इनमें से कुछ चट्टानें उन्हीं टुकड़ों की हो सकती हैं जिनकी वजह से जेजेरो क्रेटर बना।  वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह क्षेत्र मंगल की गहराइयों के इतिहास को उजागर कर सकता है। पर्सीवरेंस प्रोजेक्ट साइंटिस्ट केटी मॉर्गन ने कहा, “यहां हर मोड़ पर नई और रोमांचक चट्टानें मिल रही हैं। यह वैज्ञानिकों का सपना सच होने जैसा है।”

सैंपल्स को धरती पर लाने की तैयारी लेकिन रास्ता मुश्किल

अब सवाल यह है कि क्या ये कीमती सैंपल धरती पर लाए जाएंगे? नासा का Mars Sample Return Mission यही लक्ष्य लेकर चल रहा है लेकिन यह मिशन बेहद जटिल और महंगा है। अनुमान है कि इस पर लगभग 11 अरब डॉलर खर्च होंगे। इतनी भारी लागत और टेक्नोलॉजी की चुनौतियों के कारण इस मिशन में देरी हो रही है। नासा अब ऐसे समाधान खोज रहा है जिससे कम लागत में यह मिशन पूरा किया जा सके।

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