नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता माने गए हैं। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा, व्रत रखने और कथा पढ़ने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, भय दूर होता है और परिवार की रक्षा होती है।

धार्मिक नगरी उज्जैन में एकमात्र ऐसा भी मंदिर है जो नाग पंचमी का अवसर पर वर्ष भर में एक बार आम श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे के लिए खोला जाता है।

मान्यता है कि नाग पंचमी के शुभ अवसर पर उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

नाग पंचमी का पर्व इस साल सावन के महिने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जा रहा है।  इस दिन खास कर नागों और भगवान शिव की पूजा की जाती है।

सावन के महीने में सोमवार के दिन नाग पंचमी पर्व पड़ने से इस बार नाग पंचमी का महत्व काफी बढ़ गया है।  सोमवार और नाग पंचमी दोनों का एक साथ पडना बेहद ही शुभकारी माना जा रहा है।

वहीं उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं। चूंकि इस दिन नांग पंचमी के साथ सोमवार भी है, ऐसे में भगवान महाकाल के दर्शन के लिए भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। नागचंद्रेश्वर मंदिर में लाखों श्रद्धालू लंबी कतार में लगकर दर्शन का लाभ ले रहे हैं।

इस साल नाग पंचमी के शुभ अवसर पर 20 अगस्त की रात 12 बजे मंदिर के कपाट को खोला गया है। मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों का अपार जनसमूह उमड़ रहा है। भक्तगण सोमवार, 21 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजे तक इस मंदिर के दर्शन कर सकेंगे। सोमवार की रात 12:00 बजे मंदिर के कपाट एक बार फिर एक साल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

मान्यताओं के अनुसार नागराज तक्षक स्वंय मंदिर में विराजमान है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहा जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा का विधान है।

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