मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के लिए भारत में वांछित अपराधी तहव्वुर राणा को अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि के स्पष्ट प्रावधानों के तहत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।
अमेरिका के एक अटॉर्नी ने एक संघीय अदालत में यह बात कही। सहायक अमेरिकी अटॉर्नी, आपराधिक अपील प्रमुख ब्राम एल्डेन अमेरिका की एक अदालत में अंतिम दलीलें दे रहे थे जहां राणा ने कैलिफोर्निया में अमेरिकी ‘डिस्ट्रिक्ट कोर्ट’ के आदेश के खिलाफ अपील की है। कैलिफोर्निया की अदालत ने बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को अस्वीकार कर दिया था।
पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी राणा (63) ने अमेरिका के उसे भारत प्रत्यर्पण किए जाने के अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका दायर की थी।
अदालत ने मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी को भारत प्रत्यर्पित करने के अमेरिकी सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था।
एल्डेन ने कहा, राणा को संधि के स्पष्ट प्रावधानों के तहत भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है और भारत ने आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए उस पर मुकदमा चलाने की संभावित वजह साबित की है। इन हमलों में 166 लोगों की मौत हो गई थी तथा 239 लोग घायल हुए थे।
एल्डेन ने पांच जून को अदालत में दलीलें पेश करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका दोनों संधि के प्रावधान पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा, दोनों पक्षों ने अब कहा है कि इस प्रावधान की व्याख्या अपराध के तत्वों के आधार पर की जानी चाहिए न कि उन अपराधों के अंतर्निहित आचरण के आधार पर।
फिलहाल लॉस एंजिलिस की जेल में बंद राणा मुंबई हमलों में अपनी संलिप्तता के आरोपों का सामना कर रहा है और उसे पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का साथी माना जाता है जो 26/11 के मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है।
राणा की पैरवी कर रहे वकील जॉन डी क्लाइन ने कहा कि संभावित वजह का समर्थन करने वाला कोई उचित सबूत नहीं है।
एल्डेन ने कहा कि संभावित वजह का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत है कि राणा जानता था कि 2006 और 2008 के बीच भारत में क्या होने जा रहा है। उन्होंने कहा, उसने कई बार डेविड हेडली से मुलाकात की।