केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बढ़त पर रविवार को कहा कि लोगों ने केंद्र और राज्य में पार्टी की ‘डबल इंजन’ सरकार को उसकी कल्याणकारी और विकास की नीतियों के कारण ‘आशीर्वाद’ दिया है।

निर्वाचन आयोग के पास उपलब्ध नवीनतम रुझानों के अनुसार, मध्य प्रदेश की कुल 230 सीट में से भाजपा 161 सीट पर आगे है, जबकि कांग्रेस को 66 सीट पर बढ़त प्राप्त है।

सिंधिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने आपसे हमेशा कहा है कि जहां तक मध्य प्रदेश का सवाल है, कल्याणकारी एवं विकासोन्मुखी नीतियों के कारण लोगों ने (केंद्र में) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार को अपना पूरा आशीर्वाद दिया है।’’

राज्य में सत्ता में आने के कांग्रेस के दावे के बारे में पूछे जाने पर, सिंधिया ने चुटकी लेते हुए कहा कि उन्होंने सुना है कि ‘लड्डुओं’ का स्टॉक किया गया था और यहां तक कि पोस्टर एवं बैनर भी चिपकाए गए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा कहा है कि नतीजों का इंतजार करना बेहतर है और मुझे हमेशा लोगों का आशीर्वाद मिलने का भरोसा रहा। मैं भाजपा की सफलता के लिए राज्य की पूरी जनता नमन करता हूं।’’

राजनीतिक मामलों पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों का जिक्र करते हुए सिंधिया ने कहा, ‘‘मैं दिग्विजय सिंह के श्राप का स्वागत करता हूं और उनके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।’’

मध्यप्रदेश में बीजेपी की जीत ने सिंधिया को और ताकतवर बनाया

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जबरदस्त प्रदर्शन से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मजबूत होंगे।

उनके गढ़ – ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से भाजपा को मिला भारी समर्थन उनके राजनीतिक विरोधियों को जवाब है, जो दावा करते रहे हैं कि “सिंधिया में कोई प्रभाव नहीं है।”

चुनाव होने तक बीजेपी नेतृत्व का कहना था कि 2018 में सिंधिया की वजह से ही कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल में सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं लेकिन, कांग्रेस नेतृत्व का दावा है कि सिंधिया का अपने क्षेत्र में कोई प्रभाव नहीं है।

कांग्रेस की 2018 की जीत का एक बड़ा कारण सिंधिया के गढ़ चंबल-ग्वालियर क्षेत्र में उसका प्रदर्शन था। पार्टी ने 34 में से 26 सीटें जीतीं; 2013 में 12 और 2008 में 13 सीटें, जबकि बीजेपी को 20 और 16 सीटें मिलीं।

मार्च 2020 में सिंधिया के भाजपा में चले जाने से कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई और इस “विश्वासघात” के लिए सबसे पुरानी पार्टी ने उन्हें “गद्दार” कहा।

चम्बल-ग्वालियर क्षेत्र में आठ जिले हैं। इनमें से पांच – ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, अशोकनगर और गुना – ग्वालियर क्षेत्र में हैं, और तीन – मुरैना, भिंड और श्योपुर – चंबल क्षेत्र में हैं।

सिंधिया के भाजपा खेमे में मजबूती से शामिल होने से भगवा पार्टी ग्वालियर में लगभग क्लीन स्वीप करने की राह पर है। भाजपा के ग्वालियर (ग्रामीण) सीट पर कब्जा बनाए रखने और ग्वालियर (पूर्व) और ग्वालियर (दक्षिण), साथ ही ग्वालियर शहर और भितरवार पर पलटवार करने की संभावना है। सिर्फ डबरा ही कांग्रेस के पास रहेगी ऐसा लग रहा है।

राज्य में शानदार प्रदर्शन से सिंधिया के समर्थक उन्हें सीएम की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा है कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं। अगर सिंधिया मुख्यमंत्री बनते हैं, तो यह उनकी पार्टी के पुराने सहयोगियों और कांग्रेस के दो दिग्गजों कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को करारा जवाब होगा।

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