बताया जा रहा है कि अतुल प्रधान मेरठ मेयर की कुर्सी के लिए अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाना चाहते थे. इसी बीच आरक्षण सूची में मेरठ मेयर सीट ओबीसी में आ गई, जिसका फायदा अतुल प्रधान को मिला और उनकी पत्नी को सपा ने टिकट दे दिया.

बता दें कि अतुल प्रधान को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है. ऐसे में शुरू से ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि अगर मेरठ मेयर सीट ओबीसी में आती है तो अतुल प्रधान के पक्ष में फैसला हो सकता है. विधायक अतुल प्रधान ने साल 2012 के विधानसभा चुनाव में राजनीति में कदम रखा था. इससे पहले वह छात्र राजनीति करते थे. अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद अतुल प्रधान को समाजवादी पार्टी छात्र सभा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. वहीं अखिलेश यादव से बढ़ती करीबी का भी अतुल को बहुत फायदा मिला.

बता दें कि मेरठ से समाजवादी पार्टी के टिकट के लिए मुख्य रूप से दौड़ में 2 लोग लगे थे. मेरठ शहर के विधायक रफीक अंसारी अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे थे तो वहीं अतुल प्रधान अपनी पत्नी सीमा प्रधान के लिए टिकट मांग रहे थे. मगर इस बार बाजी अतुल प्रधान के हाथ लगी है.

बता दें कि सीमा प्रधान मेरठ में जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. बीजेपी की सरकार आने के बाद अविश्वास प्रस्ताव लगा गया, जिसके बाद सीमा प्रधान ने इस्तीफा दे दिया था. उस दौरान सीमा प्रधान ने भाजपा सरकार पर साजिश रचने का आरोप लगाया था.

बता दें कि सपा अभी तक मेयर का कोई भी चुनाव मेरठ से नहीं जीत पाई है. इस समय मेरठ की मेयर सुनीता वर्मा हैं जो सपा में हैं. मगर उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. ऐसे में सपा का लक्ष्य है कि वह मेरठ मेयर चुनाव में पहली बार जीत हासिल करें.

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