बसंती त्योहार होली की Preparations के बीच, ब्रज की फालैन गाँव की परंपरा इस बार फिर से चर्चा में है। यहाँ हर साल की तरह, होलिका दहन के दिन 45 फीट की होलिका के बीच से ‘पंडा’ नाम का एक व्यक्ति निकलता है, और यह प्रक्रिया न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे देखने के लिए 50,000 पर्यटक भी यहाँ आते हैं। इस अनोखे दृश्य में पंडा की आग से बचने की क्षमता को जानने के लिए लोग उत्सुक हैं, और इसके पीछे एक 5200 साल पुरानी परंपरा है, जिसमें पंडा परिवार का संजू पिछले 45 दिनों से प्रह्लाद जी के मंदिर में व्रत कर रहा है।
गाँव के अभिभावक, विशेष रूप से महिलाएं, अपने घरों को इस अवसर पर सजाती हैं, जैसे शादी के लिए किया जाता है। यहाँ की मुख्य महिला ने बताया कि होली पर माताएँ खास तौर पर सफाई करती हैं, ताकि पंडा प्रिय प्रह्लाद के साथ सुरक्षित निकल सकें। फालैन गाँव की आबादी करीब 10,000 है, और उत्सव की तैयारी हेतु सब लोग एकजुट हो जाते हैं। यहाँ लोग स्पष्ट रूप से मानते हैं कि पंडा के सुरक्षित निकलने का यह उत्सव ही उनके लिए सबसे बड़ा महत्व रखता है।
संजू पंडा, जो इस बार पहली बार जलती हुई होलिका से गुजरने का कार्य करेंगे, बताते हैं कि उनके परिवार ने इसे सदियों से निभाया है। पिछले 5 वर्षों से उनके बड़े भाई मोनू इस परंपरा का हिस्सा हैं और संजू ने अपने भाई की अनुमति से यह कार्य करने की इच्छा जताई थी। संजू पंडा का 45 दिन का व्रत काफी कठिन है। वे केवल पानी की एक हथेली भर मात्रा का सेवन करते हैं और दिन में एक बार फल का सेवन करते हैं। इस सफाई के पीछे एक गहरा आध्यात्मिक महत्व है जो न केवल उन्हें बल्कि पूरे गाँव को जोड़ता है।
गाँव के लोग मानते हैं कि प्रह्लाद जी की प्रतिमाएँ जमीन से प्रकट हुई थीं, और इस मान्यता के साथ ही उनकी पूजा का महत्व बढ़ जाता है। जो संत यहाँ आए थे, उन्होंने इन प्रतिमाओं को गाँव के लोगों को सौंपा था, और तब से यह परंपरा शुरू हुई। पंडा का जलती होलिका के बीच से निकलना केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक है, जिसका शाब्दिक अर्थ केवल धार्मिकता नहीं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर भी है।
विज्ञान के दृष्टिकोण से इस प्रक्रिया को समझने का भी प्रयास किया गया है। BHU के प्रोफेसर अजय त्यागी का कहना है कि भले ही पंडा परिवार की मान्यता से उनका आत्मशक्ति बढ़ाना उनके लिए जलने से रोकता है, लेकिन विज्ञान में इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि कोई सामान्य व्यक्ति बिना किसी उपाय के आग से बिना जलकर निकल सके। इससे यह साबित होता है कि धार्मिक आस्था और विज्ञान के दृष्टिकोण में काफी भिन्नता है।
इन सभी परंपराओं के बीच, एक उत्सव की खुशबू पूरे गाँव में फैली हुई है। फालैन गाँव का होली पर्व न केवल अतीत की याद दिलाता है, बल्कि यह संजीवनी ऊर्जा का एहसास भी कराता है, जहां सैकड़ों लोग एक साथ बेखौफ होकर इस विशेष दिन को मनाते हैं।