चंद्रयान-3 की चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला बुलंद है। अब वह आगे कई प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए एक बार फिर से जुट गए हैं। सबसे खास बात यह है कि अब चांद पर एक और चंद्रयान भेजने की तैयारी चल रही है जिसे चंद्रयान-4 या Lupex Mission के नाम से जाना जाएगा। लेकिन इस बार के मिशन में भारत का साथ जापान भी देगा। चलिए जानते हैं Lupex मिशन के बारे में, कब होगी इस मिशन की शुरुआत, क्या है इस मिशन का मकसद?

इस लुपेक्स मिशन (Lupex Mission) में इसरो और जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा (JAXA) चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जांच-पड़ताल करने के लिए लैंडर और रोवर उतारेंगे। जानकारी के मुताबिक यह मिशन 2026 से 2028 के बीच पूरा हो सकता है। फिलहाल इस मिशन पर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। अभी फिलहाल यह मिशन कॉनसेप्ट और बातचीत के लेवल पर ही है। लेकिन इसे लेकर दोनों देशों के वैज्ञानिक काफी सकारात्मक हैं। भारत को इस मिशन के लिए लैंडर बनाना है। जबकि रोवर और रॉकेट जापान का होगा।

बता दें कि चंद्रमा के लिए इस मिशन को लेकर जापान के साथ दिसंबर में ही समझौता हुआ था। दोनों देशों ने कार्यान्वयन व्यवस्था (आईए) पर हस्ताक्षर भी किए थे। मार्च 2018 तक दोनों देशों ने संयुक्त चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन पर मुहर लगा दी थी। अब दोनों देशों द्वारा एक रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है। इसमें बताया गया कि इस मिशन को साल 2025 से पहले लॉन्च कर दिया जाएगा, हालांकि अब 2026-2028 में लॉन्च करने की बात कही जा रही है।

जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा के मुताबिक, लुपेक्स मिशन (Lupex Mission) का लक्ष्य चंद्रमा पर स्थायी गतिविधियों के लिए आधार बनाने के उद्देश्य से उसके अनुकूल ध्रुवीय इलाके की खोज की संभावना का पता लगाना, चंद्रमा की सतह पर मौजूद जल संसाधन की उपलब्धता को लेकर जानकारी हासिल करना और चंद्रमा एवं वाहन (अंतरिक्ष यान) के पहुंचाने और वहां रात भर रहने जैसी ग्रहीय सतह अन्वेषण प्रौद्योगियों का प्रदर्शन करना है। अंतरिक्ष विभाग के अहमदाबाद स्थित स्वायत्त संस्थान भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) ने लुपेक्स के लिए कई उपकरणों का प्रस्ताव किया है जिनमें प्रमुख रूप से चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में हमेशा में छाया में रहने वाली सतह या उपसतह को मापने वाले यंत्र शामिल हैं।

 

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