पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब कोई नई पोस्ट न बनाई जाए व गश्त की विशिष्ट सीमाओं की पहचान करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत और चीन के बीच मेजर जनरल-स्तरीय वार्ता हुई है। यह वार्ता 18 अगस्त, शुक्रवार को शुरू हुई थी।

चर्चा में एलएसी पर सेना के स्तर में वृद्धि न करना शामिल है। इसके अलावा ड्रोन द्वारा किसी भी हवाई क्षेत्र के उल्लंघन से बचना, गश्त की ‘सीमाओं’ को परिभाषित करना, एक-दूसरे के गश्ती दल के बारे में पूर्व सूचना का आदान-प्रदान करना, सीमा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना और जहां दोनों ओर से सैनिकों को कम किया गया है ऐसे बफर जोन की सुचिता बनाए रखना चर्चा के मुद्दे रहे हैं।

भारत व चीन के बीच हुई यह बैठक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय हिस्से में चुशूल-मोल्डो सीमा बिंदु पर हुई। मई 2020 में गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों सेनाएं पैंगोंग त्सो, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से विस्थापित हो गई हैं, हालांकि देपसांग के मैदानी क्षेत्र और डेमचोक में तनाव बना हुआ है। देपसांग और डेमचोक के संबंध में दोनों पक्ष कोई खास प्रगति करने में विफल रहे थे।

भारतीय पक्ष देपसांग पॉलिन्स और सीएनएन जंक्शन पर सीमा मुद्दों के समाधान की तलाश में है। यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को हल करने के लिए थी। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व मेजर जनरल पी.के. मिश्रा और मेजर जनरल हरिहरन ने किया। यहां लद्दाख के देपसांग स्थित मैदान और डेमचोक क्षेत्र में जारी गतिरोध को हल करने के लिए यह वार्ता आयोजित की गई थी।

जानकारी के मुताबिक, सेना का कहना है कि बातचीत स्पष्ट और व्यावहारिक माहौल में हुई। दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा की।

नेतृत्व द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन के अनुरूप उन्होंने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया। इससे पहले 14 अगस्त को भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता हुई थी। सोमवार 14 अगस्त को दोनों देशों की बीच हुई कोर कमांडर स्तर की बातचीत का यह 19वां दौर था। इस वार्ता में पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले क्षेत्र में सैनिकों की वापसी और तनाव को कम करने पर चर्चा की गई। भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक क्षेत्र को लेकर चर्चा की गई थी।

गौरतलब है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन हो रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को देखते हुए दोनों सेनाओं के बीच हुई यह बातचीत विशेष महत्व रखती है।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हो सकती है। भारतीय और चीनी सैनिक के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर गतिरोध बना हुआ है। लगभग बीते 3 तीन साल से यहां भारत और चीन की सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति हैं। हालांकि इस दौरान दोनों पक्षों व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों वापसी सुनिश्चित की है। बावजूद इसके देपसांग और डेमचोक में अभी भी तनाव कायम है।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर समझौतों का उल्लंघन करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करने के बाद पूर्वी लद्दाख में तनाव पैदा होने के बाद कोर कमांडर स्तर की वार्ता 2020 में शुरू की गई थी। भारत ने डी-एस्केलेशन की मांग की है, जिसमें सभी अतिरिक्त सैनिकों और उपकरणों को एलएसी के अग्रिम क्षेत्रों में अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस ले जाना शामिल है। हालांकि, चीन की ओर से अभी तक इसके लिए कोई झुकाव नहीं दिखा है। वह मौजूदा होल्डिंग पोजीशन को नई यथास्थिति के रूप में मानना ​​चाहते हैं।

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