गृह मंत्री अमित शाह ने आज अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांव किबिथू में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत की। इस प्रोग्राम का उद्देश्य सीमा से सटे गांव में लोगों को रोजगार देना और सीमावर्ती इलाकों को विकसित करना है। जिससे यहां रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलेगा। इस योजना पर 4800 करोड़ रुपए खर्च होंगे। मौजूदा वक्त में अमित शाह का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में चीन ने भारत को उकसाने के लिए अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नाम बदल दिए थे। आज अमित शाह उसी गांव किबिथू पहुंचे जिस पर चीन जबरदस्ती अपना दावा करता है।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत के दौरान गृह मंत्री ने कहा कि वह जमाना अब चला गया है जब कोई भारत की जमीन हथिया लेता था या हथियाने की हिम्मत करता था| शाह ने बिना नाम लिए चीन पर हमला करते हुए कहा अब भारत की जमीन कोई भी दूषित मानसिकता वाला देश सुई की नोक जितनी भी नहीं ले सकता। हम अपनी सेना के पराक्रम से पूरी तरह सुरक्षित हैं और कोई चाह कर भी भारत के ऊपर अब तिरछी आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं करता है क्योंकि यह नया भारत है और हम ना किसी से आंखें झुका कर बात करते हैं ना आंख उठाकर बस आंख से आंख मिलाकर बात करते हैं।
गृह मंत्रालय की ओर से पिछले शनिवार को जारी किए गए एक बयान में कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2023-26 के लिए 4800 करोड़ रुपए के केंद्रीय आवंटन के साथ वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम यानी वीवीपी को मंजूरी दी है| जिसमें 2500 करोड़ रुपए विशेष रूप से सड़क संपर्क के लिए निर्धारित किए गए हैं| यानी बॉर्डर इलाके में इन 2500 करोड़ रुपए से सड़क बनाए जाएंगे, ताकि सेना को आने जाने में किसी भी परिस्थिति में दिक्कत ना हो
विलेज वाइब्रेंट प्रोग्राम एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसके तहत उत्तरी बॉर्डर से सटे अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के 19 जिले के 46 ब्लॉक में 2964 गांव की व्यापक विकास के लिए पहचान की गई है और माना जा रहा है कि इस योजना के पूर्ण रूप से लागू हो जाने के बाद इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिलेगा|
चीनी सीमा के पास गरजते हुए अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश की एक खासियत बताइए। अमित शाह बोले यहां की एक बहुत ही खास और अच्छी बात है जब आप यहां के लोगों से मिलोगे तो वह नमस्ते नहीं बोलते हैं। यहां के लोग ‘जय हिंद’ बोलते हैं। यहां कोई भी दूषित मानसिकता वाला अतिक्रमण कर हीं नहीं सकता। इसकी वजह यहां के लोगों की असीम देशभक्ति है।
अमित शाह ने 1962 की जंग में शहीद हुए किबिथू के जवानों को याद करते हुए कहा हमारी संख्या बहुत कम थी, फिर भी हमारे जवान बहादुरी से लड़े। 1965 में टाइम मैगजीन ने भी इस लड़ाई में भारतीय जवानों के शौर्य एवं पराक्रम की तारीफ की थी। भारत में सूरज की पहली किरण इसी भूमि पर पड़ती है, भगवान परशुराम ने इसका नाम अरुणाचल प्रदेश रखा था| यह हमारी भारत माता के मुकुट का एक उज्जवल गहना है और ITBP और सेना के जवानों के पराक्रम और साहस के कारण कोई भी देश आंख उठाकर हमारे देश की सीमा को नहीं देख सकता।