लखनऊ : उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) से बड़ी खबर है। आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दोस्त रहे कवि कुमार विश्वास विधान परिषद जा रहे हैं। उन्हें भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मनोनीत सीट के लिए चुना गया है। भारतीय जनता पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बहुत जल्दी मनोनीत विधान परिषद सदस्यों के नाम सरकार की ओर से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भेजे जाएंगे। इनमें कुमार विश्वास के अलावा मालिनी अवस्थी का नाम भी शामिल है। मालिनी अवस्थी पदमश्री हैं और लोक कला से ताल्लुक रखती हैं। उनके पति सेवानिवृत्त नौकरशाह अवनीश अवस्थी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं।
कला और साहित्य से ताल्लुक रखने वाले जाएंगे विधान परिषद
भाजपा मनोनयन कोटे की विधान परिषद सीटों के लिए पार्टी से बाहर के चेहरों को जगह देगी। यह चेहरे अलग-अलग विधाओं से ताल्लुक रखने वाले होंगे। इनमें नामचीन कवि कुमार विश्वास का नाम शामिल है। अगर पार्टी सूत्रों की मानें तो कुमार विश्वास का नाम दिल्ली भेज दिया गया है। अब पार्लियामेंट्री बोर्ड की मुहर लगते ही घोषणा हो जाएगी। मिली जानकारी के मुताबिक कुमार विश्वास का नाम दिल्ली से ही लखनऊ भेजा गया था। उनके नाम पर भाजपा प्रदेश इकाई और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहमति दे दी है। दूसरी तरफ लोक कला से ताल्लुक रखने वालीं मालिनी अवस्थी का नाम लखनऊ से दिल्ली भेजा गया है। मालिनी लोक गायिका हैं। वह सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाला एक गैर सरकारी संगठन भी संचालित करती हैं।
शिक्षक-स्नातक के साथ मनोनीत विधान परिषद सदस्यों के नाम आएंगे
उत्तर प्रदेश में पांच खंड स्नातक और शिक्षक क्षेत्र की विधान परिषद सीटों के लिए चुनाव होना है। इन सीटों के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी होगी। इन उम्मीदवारों के साथ मनोनीत विधान परिषद सदस्यों के नामों को हरी झंडी दी जा सकती है। आपको बता दें कि विधान परिषद में राज्यपाल की ओर से मनोनीत किए जाने वाले एमएलसी की आधा दर्जन सीट रिक्त हैं। कई महीनों से इन सीटों को भरने की चर्चाएं चल रही हैं। मगर अब नए साल में इन सीटों पर अंतिम मुहर लगाने की तैयारी है।
मनोनयन में दिल्ली और लखनऊ के नाम शामिल हुए
भाजपा के एक उच्च पदस्थ नेता ने बताया कि इन सीटों के लिए काफी दिन पहले नामों का पैनल दिल्ली भेजा जा चुका है। पिछले दिनों कोर कमेटी की बैठक में नामों पर नए सिरे से मंथन हुआ और दोबारा पैनल भेजा गया। इसमें कुछ नाम दिल्ली की सलाह पर शामिल किए गए। जिनमें कवि कुमार विश्वास भी शामिल हैं। कुछ नाम प्रदेश टीम की ओर से शामिल किए गए हैं। आपको बता दें कि मनोनयन कोटे की सीटों पर विभिन्न विधाओं में विशिष्ट कार्य करने वालों को राज्यपाल नियुक्त करते हैं। हालांकि, ज्यादातर सरकारें इन सीटों पर अपने राजनीतिक कार्यकर्ताओं को समायोजित करती रही हैं।
कुमार विश्वास और मालिनी अवस्थी के नाम क्यों?
नेता ने कहा कि भाजपा नेतृत्व राजनीति से इतर सामाजिक और साहित्यिक क्षेत्र के लोगों को विधान परिषद भेजना चाहती है। संभावित नामों में साहित्यिक क्षेत्र से कुमार विश्वास का नाम है। काव्य जगत से ताल्लुक रखने वाले कुमार विश्वास का आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल से नाता टूटने के बाद से अटकलों का बाजार गर्म है। इनके अलावा पूर्व नौकरशाह अवनीश अवस्थी की पत्नी मालिनी अवस्थी को भी नए साल का तोहफा मिलेगा। सेवानिवृत्ति के बाद अवनीश महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्हें न केवल दिल्ली का करीबी माना जाता है, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उन्हें पसंद करते हैं।
शिक्षक और स्नातक उम्मीदवार भी घोषित होंगे
इसके अलावा दो क्षेत्रीय अध्यक्षों और दो प्रदेश पदाधिकारियों को विधान परिषद भेजा जा सकता है। प्रत्याशियों का जल्दी ऐलान किया जाएगा। हालांकि, अंतिम फैसला दिल्ली की मुहर लगने के बाद ही होगा। वहीं, स्नातक कोटे की तीन और शिक्षक कोटे की दो सीटों पर भी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान जल्दी होना है। स्नातक कोटे पर तीनों चेहरे रिपीट करने की तैयारी है। शिक्षक कोटे वाली सीटों पर नए उम्मीदवार सामने आ सकते हैं।
विश्वास मांग रहे थे राज्यसभा और मालिनी बनना चाहती थीं कुलपति
बड़ी बात यह है कि कवि कुमार विश्वास उत्तर प्रदेश विधान परिषद जाने के लिए तैयार नहीं थे। उनकी पसंद राज्यसभा सीट है। भारतीय जनता पार्टी के एक उच्च पदस्थ नेता ने कहा कि कुमार विश्वास और पार्टी नेतृत्व के बीच लंबे वक्त से बातचीत चल रही है। वह राज्यसभा में स्थान चाहते थे, लेकिन इसके लिए पार्टी तैयार नहीं हुई। उन्हें पहले भी विधान परिषद में जगह देने की पेशकश भाजपा की ओर से की गई थी। लिहाजा, अब वह विधान परिषद जाने के लिए तैयार हो गए हैं। दूसरी ओर मालिनी अवस्थी उत्तर प्रदेश में एक विश्वविद्यालय की कुलपति बनना चाहती थीं। पिछले दिनों बतौर कुलपति उनकी नियुक्ति को लेकर लगभग तैयारी पूरी हो चुकी थी, लेकिन आखरी वक्त पर संघ की सिफारिश ने उनका खेल बिगाड़ दिया। अब उन्हें भी विधान परिषद भेजकर समायोजित किया जा रहा है।