22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में एक दुखद आतंकवादी घटना हुई, जिसमें आतंकियों ने 26 पर्यटकों की हत्या की। इस हमले ने देशभर में गहरा आक्रोश उत्पन्न कर दिया। भारतीय नागरिकों के साथ-साथ सरकार ने भी इस कृत्य की कड़ी निंदा की। इस घटना ने न केवल भारतीय जनता को झकझोर दिया, बल्कि विभिन्न देशों से भी भारत को समर्थन मिला, जिन्होंने इस आतंकवादी गतिविधि की निंदा की।

इस घटना के परिणामी प्रभाव से पाकिस्तान में जल संकट उत्पन्न हो गया, जब भारत ने चिनाब नदी का जलflow रोक दिया। यह अचानक उठाया गया कदम पाकिस्तान के लिए गंभीर समस्याओं का स्रोत बन गया, क्योंकि वहां के लोग पानी की कमी से जूझने लगे। इस मामले में पाकिस्तान ने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए रूस और चीन से मदद की अपील की और पहलगाम में हुए हमले की निष्पक्ष जांच की मांग की।

भारत ने मामले की गंभीरता को समझते हुए 15 दिनों की योजना बनाई और अंततः 6 मई की रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में 9 आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। यह अभियान सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति साबित हुआ, जिसने यह स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने दृढ़ संकल्प से पीछे नहीं हटेगा।

6 मई के इस सफल अभियान के बाद, पूरे देश में एक सकारात्मक माहौल बना, जहां लोग भारत की सैन्य ताकत और साहस को सराहने लगे। ऑपरेशन सिंदूर ने यह संदेश दिया कि आतंकवादियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और उनकी गतिविधियों का उचित जवाब दिया जाएगा।

हर एक ग्राफिक के माध्यम से यह समझाया जा सकेगा कि किस प्रकार से पहलगाम हमला और उसके बाद का भारतीय अभियान एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। यह केवल एक आतंकवादी घटना नहीं थी, बल्कि यह भारत की सुरक्षा नीति और विदेश संबंधों में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी। इस पूरी कहानी के माध्यम से यह भी देखने को मिलेगा कि कैसे एक सख्त और सक्षम जवाब ने भारत की सुरक्षा रणनीति को और अधिक सशक्त बनाया।

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