वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की क्यों जरूरत पड़ी: वीर सिंह

कन्नौज, 06 मई (हि.स.)। वक्फ इस्लामी कानून के अंतर्गत एक अपरिवर्तनीय धर्मार्थ निधि है जिसे भारत में वक्फ अधिनियम 1995 के तहत मान्यता प्राप्त और नियमित किया जाता है। इस शब्द में इस्लामी कानून के तहत पवित्र धार्मिक या धर्मार्थ किए गए सभी दान शामिल हैं।

वक्फ बोर्ड और उनके द्वारा नियंत्रित सम्पत्तियां भारत में इस्लामी जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं। क्योंकि वह अनगिनत मस्जिदों, धार्मिक और परोपकारी संस्थाओं के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं। हालांकि वक्फ व्यवस्थापन प्रणाली बहुत ही दुर्बल है। इसी कारण वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 बनाया गया ताकि वक्फ प्रशासन को सुव्यवस्थित किया जा सके।

वक्फ बोर्ड जनकल्याण के लिए बना भारत का सबसे बड़ा घोटाला बन चुका है। माल होटल और व्यावसायिक इमारतें वक्फ जमीन पर फल फूल रही हैं। लेकिन गरीब मुसलमान को अब भी कुछ नहीं मिल रहा है।

धार्मिक नेताओं और राजनेताओं के एक बड़े गुट ने वक्फ सम्पत्तियों को लूटकर आम मुसलमान को बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया है।

मंगलवार काे शानू खान एवं मुसर्रत खान द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के बारे में वीर सिंह भदोरिया जिलाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी ने अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने बताया कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 से किसी भी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं है। वक्फ की जमीनों पर जो मुत्बल्ली बने बैठे हैं, जिन्होंने अपना और अपने परिवार के अलावा कभी किसी गरीब का कोई भला नहीं किया है, उन्हीं को परेशानी हो रही है और राजनीतिक पार्टियां अपनी अपनी रोटियां सेक रही हैं। बैठक में तिर्वा क्षेत्र के सैकड़ों मुसलमानाें ने भाग लिया और वीर सिंह भदौरिया जिंदाबाद, मोदी- योगी जिंदाबाद आदि के नारे लगाए।

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