जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू – JNU) के छात्र संघ चुनाव को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने शनिवार को प्रेस वार्ता कर चुनाव प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया।

एबीवीपी का कहना है कि जेएनयू की चुनाव समिति ने निष्पक्षता को त्यागकर ‘लेफ्ट यूनाइटेड’ का ‘टीम बी’ बनकर कार्य किया है।

चुनाव नामांकन की अंतिम तिथि 15 अप्रैल और नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 16 अप्रैल निर्धारित की गई थी, लेकिन एबीवीपी के अनुसार, वामपंथी संगठनों के दबाव में चुनाव समिति ने नाम वापसी की समयसीमा को पहले 17 अप्रैल तक, फिर उसी दिन 4 बजे तक और उसके बाद 4:30 बजे तक बढ़ा दिया।

इतना ही नहीं, 17 अप्रैल की शाम को अंतिम सूची जारी होने के बाद 18 अप्रैल को बिना किसी पूर्व सूचना के नाम वापसी की प्रक्रिया को 30 मिनट के लिए दोबारा खोला गया, जो जेएनयू चुनाव के इतिहास में पहली बार हुआ है। एबीवीपी ने इसे “लोकतंत्र और संवैधानिक मानकों की हत्या” करार दिया।

एबीवीपी जेएनयू इकाई के अध्यक्ष राजेश्वर कांत दूबे ने कहा, “चुनाव प्रक्रिया में बार-बार नियमों का उल्लंघन कर वामपंथी संगठनों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। यह छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का सीधा अपमान है। हम इस साजिश का कड़ा विरोध करते हैं और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए हर मंच पर संघर्ष करेंगे।”

एबीवीपी जेएनयू की सचिव और प्रेसिडेंट पद की उम्मीदवार शिखा स्वराज ने कहा, “लेफ्ट गठबंधन यहां केवल दबाव की राजनीति कर रहा है, लेकिन अब जेएनयू बदलाव चाहता है। हम डोर-टू-डोर कैंपेन कर छात्रों से उनकी समस्याएं सुन रहे हैं, वहीं लेफ्ट डर का माहौल बना रहा है, जिसे रोकना हमारा कर्तव्य है।”

एबीवीपी का दावा है कि वामपंथी संगठनों आइसा और एसएफआई के बीच गठबंधन न बन पाने के कारण चुनाव प्रक्रिया को बार-बार बदला जा रहा है। जब इन संशोधनों का विरोध हुआ तो चुनाव समिति ने संपूर्ण प्रक्रिया को स्थगित कर दिया।

वहीं, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन की सचिव अनघा ने प्रशासन से चुनाव समिति की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने कहा, “कल की घटना के 24 घंटे बीतने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। हमारे साथियों पर हमला हो रहा है और आरोप भी हम पर लगाए जा रहे हैं कि हमारी सेटिंग है।”

वर्तमान छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एबीवीपी को चुनाव प्रक्रिया में हिंसा फैलाने का दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, “नामांकन प्रक्रिया के दौरान चुनाव समिति पर हमला हुआ, जिसकी जिम्मेदारी एबीवीपी समर्थकों की है। तस्वीरों में साफ है कि हमलावर एबीवीपी से जुड़े हैं और कुछ बाहरी लोग भी थे। हमने वीसी को लिखित में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है।”

धनंजय ने कहा कि एबीवीपी द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों के कारण ही चुनाव प्रक्रिया स्थगित हुई है और अब पूरा छात्र समुदाय चुनाव की नई तारीख का इंतजार कर रहा है।

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