चंद्रयान-3 अपने साथ कई ऐसे उपकरणों को ले जा रहा है, जिनसे साइंटिस्ट्स को मून को बेहतर ढ़ग से समझने में आसानी होगी। चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। इस मिशन को लेकर भारत स्पेस के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने जा रहा है।

चंद्रयान-3 मिशन को लेकर ISRO ने बृहस्पतिवार (21 जुलाई) के एक बयान जारी किया। जिसमें कहा कि चंद्रयान-3 की चौथी कक्षा को सफलतापूर्वक बदला जा चुका है। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अपने मिशन पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। इसरो ने आगे कहा कि कक्षा बदलने की चौथी प्रक्रिया (Earth-Bound Perigee Firing) को बेंगलुरु से संपन्न की गई।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा कि अगली ऑर्बिट मैन्यूरिंग 25 जुलाई 2023 को दोपहर 2 से 3 बजे ही होगी। चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। जिसके बाद पहली बार 18 जुलाई को चंद्रयान-3 की तीसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया पूरी की गई थी। इसरो का ऐतिहासिक मिशन 40 दिन तक अहम चरणों से गजरेगा और चंद्रमा की सतर पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ये अपनी पूरी स्ट्रेंथ से साथ अपने मिशन पर आगे बढ़ेगा। चंद्रयान-3 अपने साथ एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल लेकर चांद तक जा रहा है। इसका कुल वजन करीब 3,900 किलोग्राम है।

चंद्रयान-2 से काफी अपडेटेड है चंद्रयान- 3
चंद्रयान-3 में लैंडर के लिए अलग सोलर पैनल लगाया गया है। जिसकी वजह से इसकी दिन में भी लैंडिंग कराई जा सकती है। लैंडिंग के समय किसी भी समस्या या खतरे का पता लगाने के लिए लैंडिंग कैमरा फीडबैक उपकरण भी भेजा गया है। इसरो ने इस बार कई बड़े बदलवा किए हैं। जिसके तहत लैंडिंग एल्गोरिदम और इंजन को अपडेट किया गया है।

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