गाजा पट्टी के सबसे बड़े और सबसे पुराने फिलिस्तीनी स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थानों में एक अल-शिफा अस्पताल की स्थिति इज़राइल-हमास युद्ध के बीच “विनाशकारी” हो गई है। संयुक्त राष्ट्र राहत कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक संयुक्त बयान में यह चिंता व्‍यक्‍त की।

बुधवार को जारी बयान में कहा गया है कि वर्तमान में प्रत्येक बिस्तर पर लगभग दो मरीज हैं और आपातकालीन विभाग और वार्ड भरे हुए हैं, जिससे डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को गलियारों, फर्श और आउटडोर में घायल और बीमार मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है।

इसमें कहा गया है, “हर घंटे घायलों की संख्या बढ़ती जा रही है। मरीजों को अत्यधिक और अनावश्यक दर्द से गुजरना पड़ रहा है क्योंकि दवाएं और एनेस्‍थेसिया खत्म हो रहे हैं। इसके अलावा, हजारों विस्थापित लोगों ने अस्पताल के पार्किंग स्थल और यार्ड में आश्रय ले रखा है।”

बयान में कहा गया है कि एक महीने से अधिक समय से अल-शिफा अस्पताल सहित गाजा पट्टी में किसी के लिए भी ईंधन की अनुमति नहीं दी गई है।

संयुक्त राष्ट्र के दो निकायों ने “गाजा पट्टी में मानवीय एजेंसियों को ईंधन की तत्काल डिलीवरी का अपना आह्वान” दोहराया।

संयुक्त बयान में कहा गया है, “ईंधन के बिना अस्पताल और अलवणीकरण संयंत्र और बेकरी जैसी अन्य आवश्यक सुविधाएं संचालित नहीं हो सकती हैं, और परिणामस्वरूप अधिक लोग निश्चित रूप से मरेंगे।”

ईंधन की कमी के परिणामस्वरूप, गाजा शहर के अल कुद्स अस्पताल ने गुरुवार को प्रमुख सेवाएं बंद कर दीं, जबकि उत्तरी गाजा में मातृत्व सेवाएं प्रदान करने वाले एकमात्र प्रदाता अल अवदा अस्पताल ने जल्‍द बंद होने की चेतावनी दी।

संयुक्त बयान यूएनआरडब्ल्यूए और डब्ल्यूएचओ द्वारा अल-शिफा अस्पताल में चिकित्सा आपूर्ति और दवाएं पहुंचाने के एक दिन बाद आया।

शत्रुता बढ़ने और गाजा की पूरी घेराबंदी शुरू होने के बाद से अस्पताल में जीवनरक्षक आपूर्ति की यह केवल दूसरी डिलीवरी थी।

इस बीच, इजरायल डिफेंस फोर्सेज और सरकार ने आरोप लगाया है कि अल-शिफा अस्पताल हमास के लिए कमांड सेंटर के रूप में भी काम कर रहा था और अस्‍पताल के नीचे कई भूमिगत सुरंगों से उसका संचालन हो रहा था।

इज़राइल ने पिछले सप्‍ताह अस्पताल के बाहर एक हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि एक लड़ाकू जेट ने हमास आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की गई एम्बुलेंस पर हमला किया था।

युद्ध शुरू होने के बाद से गुरुवार सुबह तक गाजा में मरने वालों की संख्या 10,569 थी, जिनमें से 67 प्रतिशत बच्चे और महिलाएं हैं।

इसके अलावा 1,350 बच्चों सहित लगभग 2,450 अन्य लोगों के लापता होने की सूचना मिली है और वे मलबे में फंसे या मर सकते हैं।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मरने वालों में कम से कम 192 चिकित्सा कर्मचारी भी शामिल हैं, जिनमें से 16 मारे जाने के समय ड्यूटी पर थे।

उग्र संघर्ष में कुल 92 यूएनआरडब्ल्यूए कर्मचारी और 18 फिलिस्तीनी नागरिक सुरक्षा कर्मियों की भी जान चली गई है।

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