इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (Iskcon ) ने मंगलवार को कहा कि उसने स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बारे में की गईं टिप्पणियों से उपजे विवाद के बाद साधु पर “प्रतिबंध” लगा दिया है। अमोघ लीला दास नामक साधु ने मछली के सेवन के लिए स्वामी विवेकानंद की आलोचना करते हुए कहा था कि एक सदाचारी व्यक्ति कभी भी किसी प्राणी को हानि नहीं पहुंचा सकता।
उन्होंने रामकृष्ण की शिक्षा “जतो मत ततो पथ” (जितनी राय, उतने रास्ते) पर भी व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा था कि हर रास्ता एक ही मंजिल तक नहीं जाता। दास की टिप्पणी का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर प्रसारित हो गया, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने क्लिप साझा करते हुए ट्वीट किया, “हम इस्कॉन का सम्मान करते हैं। लेकिन उसे अब उन्हें रोकना चाहिए। रामकृष्ण और विवेकानंद का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस तथाकथित साधु के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।”
इस्कॉन ने एक बयान में कहा कि दास के विचार उसके मूल्यों व शिक्षाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते। बयान में कहा गया है, “हम धार्मिक मान्यताओं व प्रथाओं के प्रति किसी भी प्रकार के अनादर और असहिष्णुता की निंदा करते हैं। अपमानजनक टिप्पणियां आध्यात्मिक पथों और व्यक्तिगत विकल्पों की विविधता को लेकर दास में जागरूकता की कमी को दर्शाती हैं।”
बयान के अनुसार, “साधु की इस गंभीर गलती को ध्यान में रखते हुए, इस्कॉन ने उन पर एक महीने के लिए प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। हमने उन्हें अपना निर्णय बता दिया है। अमोघ लीला दास ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी है। उन्हें एहसास हो रहा है कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है।” बयान के अनुसार, “उन्होंने एक महीने तक गोवर्धन पर्वत पर जाकर प्रायश्चित करने का निर्णय लिया है। वह तत्काल प्रभाव से खुद को पूरी तरह अलग कर लेंगे।”
प्रेस रिलीज में कहा गया कि अमोघ लीला दास ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी थी और प्रायश्चित के लिए एक महीने के लिए गोवर्धन पर्वत पर जाने का संकल्प लिया है, वो तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक जीवन से अलग होकर एकांतवास में चले गए हैं।