केंद्र की मोदी सरकार देश के समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए राफेल जेट के नौसेना संस्करण के 26 विमान खरीदने की तैयारी कर रही है। इस बात की जानकारी भारत सरकार ने फ्रांस की सरकार को दे दिया है। यह सौदा दोनों देशों के बीच अंतर-सरकारी फ्रेमवर्क के तहत किया जाएगा। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारत सरकार ने जुलाई में इस सौदे पर अपनी मुहर लगाई थी। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के फ्रांस दौरे के दौरान इस बात को लेकर एक बैठक भी की गई थी। बता दें कि इन युद्धक विमानों को भारत के स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात करने की तैयारी कर रही है।

फ्रांस और आपूर्ति निर्माता कंपनी को भेजे गए अपने पत्र में भारत सरकार ने अपनी सभी आवश्यकताओं और क्षमताओं का उल्लेख किया है, जो वह विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य के लिए खरीदे जाने वाले राफेल विमान में देखना चाहती है। भारतीय नौसेना और भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए तेजी से काम कर रही है कि अधिग्रहण अनुबंध पर जल्द से जल्द हस्ताक्षर हो जाए। इस सौदे से सरकार आईएनएस विक्रांत पर राफेल को तैनात कर हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की बढ़त सुनिश्चित करना चाहती है।

यह पहली बार नहीं है जब भारत सरकार इतने बड़े पैमाने पर युद्धक विमान खरीद रही है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने 2016 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा के लिए 59 हजार करोड़ रुपए खर्च कर 36 राफेल फाइटर जेट खरीदा था। हालांकि इस सौदे को लेकर विपक्ष के कई नेताओं ने सरकार पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था और मामले की जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे। हालांकि कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले पर दोषमुक्त पाया था।

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