वायु सेना की 91वीं वर्षगांठ पर आज एक और नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। आठ अक्टूबर को वायुसेना का झंडा बदला जाएगा। यह बदलाव 72 वर्ष बाद किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना अपने मूल्यों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए आज प्रयागराज में एयरफोर्स डे परेड में अपने नए ध्वज का अनावरण करेगी। वायु सेना अध्यक्ष चीफ एयर मार्शल वीआर चौधरी परेड के दौरान झंडा बदलने के साथ वायु योद्धाओं को शपथ भी दिलाएंगे। अपने बेड़े में विमानों की संख्या के लिहाज से भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी बड़ी वायुसेना है और विषम से विषम परिस्थितियों में भी दुश्मन के दांत खट्टे करने की क्षमता रखती है।

वायु सेना अध्यक्ष चीफ एयर मार्शल वीआर चौधरी आज वायुसेना के नए ध्वज का अनावरण करेंगे। नए ध्वज में सबसे ऊपर दाएं कोने में भारतीय वायुसेना का चिह्न होगा। ‘एनसाइन’ के ऊपरी दाएं कोने में फ्लाई साइड की ओर वायु सेना क्रेस्ट के शीर्ष पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न और उसके नीचे देवनागरी में ‘सत्यमेव जयते’ शब्द है। अशोक चिह्न के नीचे एक हिमालयी गरुड़ है जिसके पंख फैले हुए हैं।, जो भारतीय वायुसेना के युद्ध के गुणों को दर्शाता है। इस पर ‘भारतीय वायु सेना’ लिखा है। भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ हिमालयी गरुड़ के नीचे देवनागरी के सुनहरे अक्षरों में अंकित है।

आधिकारिक तौर पर वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसकी पेशेवर दक्षता और उपलब्धियों को देखते हुए मार्च 1945 में इसके सम्मान में ‘रॉयल’ को भी जोड़ा गया। इसके बाद यह रॉयल इंडियन एयर फोर्स (RIAF) बन गई थी। रॉयल इंडियन एयर फोर्स के ध्वज में ऊपरी बाएं कैंटन में यूनियन जैक और फ्लाई साइड पर RIAF राउंडेल (लाल, सफेद और नीला) शामिल था।

साल 1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद वायुसेना ने अपने नाम में से ‘रॉयल’ हटा दिया था। स्वतंत्रता के बाद निचले दाएं कैंटन में यूनियन जैक को भारतीय तिरंगे और RIAF राउंडल्स को IAF ट्राई कलर राउंडेल या तिरंगे के राउंडेल के साथ प्रतिस्थापित करके भारतीय वायु सेना का ध्वज बनाया गया था।

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