भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने रखा रूस के समक्ष आतंक के खिलाफ भारत का रुख
नई दिल्ली, 23 मई (हि.स.)। भारत के कूटनीतिक संवाद के तहत सांसद कनिमोझी के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने रूस की यात्रा की। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर पर भारत के पक्ष पर केंद्रित यह यात्रा महत्वपूर्ण रही। प्रतिनिधिमंडल ने रूस की संसद के दोनों सदनों और थिंक टैंकों के साथ कई बैठकें कीं।
इन उच्च स्तरीय बातचीतों ने भारत और रूस के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने और वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा देने की साझा प्रतिबद्धता को फिर से पुष्टि की।
रोज स्थित भारतीय दूतावास की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार प्रतिनिधिमंडल ने रूस के उप विदेश मंत्री एंद्रेई रुडेनको के साथ विस्तृत चर्चा की। चर्चा में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर जोर दिया गया। भारतीय पक्ष ने आतंकवाद के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को दोहराया और कहा कि भारत किसी भी परमाणु ब्लैकमेल को सहन नहीं करेगा।
प्रतिनिधिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय मामलों की समिति के पहले उपाध्यक्ष एंद्रेई डेनिसोव के साथ व्यापक चर्चा की। इस संवाद में वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ विधायी समन्वय को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारतीय पक्ष ने आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई में ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख किया।
इसके बाद, प्रतिनिधिमंडल ने राज्य डूमा के अंतरराष्ट्रीय मामलों की समिति के अध्यक्ष लियोनिद स्लुत्स्की के साथ बैठक की। दोनों पक्षों ने भारत-रूस के ऐतिहासिक और विश्वसनीय संबंधों की पुष्टि की। चर्चा में वैश्विक सुरक्षा आर्किटेक्चर, उभरते भू-राजनीतिक माहौल और बहुपक्षीय सहयोग शामिल थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया।
प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री मिखाइल फ्रादकोव के साथ भी बातचीत की। उन्होंने आतंकवाद के रास्तों, दुष्प्रचार पारिस्थितिकी तंत्र और क्षेत्रीय शांति को कमजोर करने वाले राज्य प्रायोजित प्रचार पर विचार-विमर्श किया। दोनों पक्षों ने आतंकवाद के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर संयुक्त विश्लेषणात्मक कार्य के लिए निकटता से सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की।
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