विपक्षी गठबंधन इंडिया की मंगलवार की बैठक में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जा सका। गठबंधन के संयोजक से लेकर प्रचार की रणनीति और सीट शेयरिंग पर भी कोई ठोस फैसला नहीं हो सका।

सूत्रों की माने बैठक में हुए मंथन से एक बार फिर यह बात साफ हुई कि दल तो मिल रहे हैं लेकिन दिल नहीं मिल पा रहे हैं। कई मुद्दों पर विभिन्न घटक दलों के बीच मतभेद है। संदेश खराब न जाए इसलिए पिछली तीन बैठकों की तर्ज पर ही आज की बैठक में भी कई मसलों को आगे के लिए टाल दिया गया।

गठबंधन में शामिल नेताओं के बीच कई मुद्दों पर आज भी मतभेद दिखाई पड़े। सीट शेयरिंग में हुई देरी के लिए जहां टीएमसी, जदयू व सपा ने नाराजगी जाहिर की तो वही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम चेहरे के रूप में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल का प्रस्ताव जनता दल यू, सपा और राजद को रास नहीं आया।

सीट शेयरिंग को लेकर गठबंधन में शामिल दलों का दबाव कितना है इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि कई क्षेत्रीय दलों ने गठबंधन की डेटलाइन 31 दिसम्बर तय कर दी। इतना ही नहीं नीतीश कुमार ने यहां तक कहा कि अब अगली बैठक सीट शेयरिंग फाइनल हो जाने के बाद ही बुलाई जानी चाहिए। सीट शेयरिंग मसले को राज्यस्तर पर छोड़ने के फैसले से भी कुछ दलों में नाराजगी है। कई नेताओं का मानना है कि पहले गठबंधन का संयोजक तय होना चाहिए न कि पीएम उम्मीदवार के चेहरे पर विचार किया जाए। न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर भी नहीं हो सका कोई निर्णय।

बैठक में टीएमसी ने प्रस्ताव दिया कि कांग्रेस को करीब 300 सीटों पर लड़ना चाहिए, जहां उसकी सीधी लड़ाई बीजेपी से है। बाकी सीटों पर कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टयिों को समर्थन देना चाहिए। टीएमसी, जेडीयू समेत कई पार्टयिों ने प्रस्ताव दिया कि सीट बंटवारे पर 31 दिसम्बर तक मुहर लगाई जाए।

गठबंधन की बैठक में जैसे ही ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए लिया तो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार नाराज हो गए। मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रस्तावित किए जाने से नाराज लालू और नीतीश गठबंधन की बैठक से जल्दी निकल गए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल नहीं हुए।

सूत्रों की मानें तो गठबंधन की बैठक में नीतीश कुमार बोले कि जनवरी तक सीट बंटवारा फाइनल होने के बाद ही अगली बैठक बुलाई जाए। उन्होंने कहा, सीट बंटवारा और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया जाए। राज्यों में प्रचार की रणनीति तय हो जानी चाहिए। इससे पहले की बैठक में भी इन दलों के बीच कुछ मुद्दों पर असहमति देखी गई है। जहां मुंबई बैठक से पहले संयोजक की दौड़ में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और बिहार के सीएम नीतीश कुमार का नाम सबसे आगे था। वहीं अब तक इस पर सस्पेंस बरकरार है।

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