झांसी के टोड़ी फतेहपुर क्षेत्र से एक दुखदायी घटना प्रकाश में आई है, जिसमें एक युवक ने आत्महत्या कर ली। जानकी प्रसाद कुशवाहा (39) ने अपने छोटे भाई देवेंद्र को फोन कर बताया कि उसने जहर खा लिया है। टेलीफोन पर अपने भावनाओं के साथ रोते हुए जानकी ने अपने भाई से कहा, “मुझे बचा पाओ तो बचा लो,” और इसके बाद फोन काट दिया। जिस समय यह घटना हुई, जानकी अपनी पत्नी से मिलकर विह्वल होकर रोए और सहायता की उम्मीद की। परंतु, केवल कुछ समय के बाद जानकी की तबीयत गंभीर हो गई।
जानकी की पत्नी हरकुंवर ने जब उसे रोते हुए सुनने के बाद उसकी लोकेशन पूछी, तो यह जानकारी मिली कि वह बस स्टैंड की ओर जा रहा है। इसके बाद, जब हरकुंवर ने फिर से संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि जानकी ने जहर पी लिया है। तत्काल परिवार वाले जानकी को लेकर मऊरानीपुर के अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत को नाजुक देखते हुए झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। लेकिन, जब परिवार झांसी पहुंचा, तब डॉक्टरों ने जानकी को मृत घोषित कर दिया।
जानकी की शादी को 20 साल हो चुके थे, लेकिन वह और उसकी पत्नी बच्चे न होने के कारण मानसिक तनाव में थे। लंबे समय से इस समस्या के कारण जानकी के मन में चिंताएं थीं। परिवार का कहना है कि जानकी ने आत्महत्या करने का यह फैसला क्यों और किस वजह से लिया, इसकी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है। स्थानीय थाना अधिकारी सत्य प्रकाश शर्मा ने कहा कि अभी तक परिवार द्वारा किसी भी प्रकार की शिकायत या तहरीर नहीं दी गई है। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है और मामले की जांच की जा रही है।
इस घटना ने पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है। जानकी की मौत से उसके परिवार और आसपास के लोगों में शोक का माहौल है। विसंगतियों और सामाजिक दबावों से ग्रस्त लोग इस बात से जागरूक हो रहे हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना चाहिए और आत्महत्या के विषय में बात करना कितना जरूरी है।
वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश बोर्ड के 10वीं कक्षा के परिणामों ने भी मीडिया में बड़ी सुर्खियां बटोरी हैं। जालौन का यश 97.83 प्रतिशत अंकों के साथ टॉपर बन गया है। इसके बाद दूसरे स्थान पर इटावा की अंशी और बाराबंकी के अभिषेक ने 97.67 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। आगरा जिले ने इस परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 94.99 प्रतिशत छात्रों के पास होने की सफलता प्राप्त की। सोनभद्र जिले का प्रदर्शन सबसे खराब रहा, जहां केवल 74.72 प्रतिशत छात्रों ने सफलता हासिल की। इस तरह, दो भिन्न घटनाओं से समाज में मुद्दों की गंभीरता और शिक्षा के महत्व को एक साथ देखा जा रहा है।