एक सदस्य के खिलाफ एफआईआर पर पूरे परिवार को परेशान करने पर हाईकोर्ट तल्ख
प्रयागराज, 13 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के अपहरण में परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ एफआईआर होने पर पूरे परिवार को परेशान करने को गम्भीरता से लिया है। कोर्ट ने आजमगढ़ कोतवाली के ऐसे ही मामले में आरोपी फैसल की मां इशरत जहां व भाई सलीम अहमद को राहत दी है।
कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए कोतवाली पुलिस को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35 का अनुपालन करते हुए उचित विवेचना करने और याचियों को गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि अपहरण में किसी नाबालिग के संलिप्तता की जांच होनी चाहिए। बीएनएसएस की धारा 35(3) में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी को उन सभी मामलों में नोटिस जारी करना चाहिए जहां धारा 35(1) के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है। जांच की उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। क्योंकि याचियों को नाबालिग लड़की के अपहरण में सीधे शामिल होने के लिए गिरफ्तार नहीं किया गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा एवं न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने याचियों के अधिवक्ता को सुनकर दिया है। आजमगढ़ निवासी इशरत जहां के बेटे फैसल के विरुद्ध आजमगढ़ के थाना कोतवाली में बी एनएस की धारा 87, 137 (2), 351(3) को एफआईआर दर्ज हुई। कोतवाली पुलिस इस एफआईआर के अनुक्रम में इशरत जहां, उसके बेटे सलीम अहमद और पिता आफताब को परेशान करने लगी। पुलिस की इस उत्पीड़नात्मक कार्यवाही के विरुद्ध इशरत और उसके बेटे सलीम अहमद ने यह याचिका दाखिल की थी।
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