मानहानि मामले में जुर्माने के आदेश पर रोक से इनकार, हाई कोर्ट ने पाटकर को सेशंस कोर्ट जाने को कहा

नई दिल्ली, 22 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दी गईं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को सेशंस कोर्ट की ओर से एक लाख रुपये के जुर्माने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस शलिंदर कौर की बेंच ने मेधा पाटकर को इसके लिए सेशंस कोर्ट जाने को कहा।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने मेधा पाटकर के वकील से कहा कि सेशंस कोर्ट में आपकी सुनवाई कल यानि 23 अप्रैल को है और आप आज हाई कोर्ट आए हैं। आप इस याचिका को सेशंस कोर्ट में रखें।

आठ अप्रैल को साकेत कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दी गईं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को राहत देते हुए एक साल के लिए परिवीक्षा पर रहने का आदेश दिया था। इसका मतलब है कि मेधा पाटकर को मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से मिली तीन महीने की जेल की सजा की जगह एक साल के लिए परिवीक्षा के तहत रहना होगा। कोर्ट ने मेधा पाटकर को अपने अच्छे आचरण की अंडरटेकिंग की शर्त पर परिवीक्षा के रहने की अनुमति दी थी।

इसी के साथ सेशंस कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से मेधा पाटकर पर लगाए गए दस लाख रुपये के जुर्माने को कम करते हुए एक लाख रुपये कर दिया था। सेशंस कोर्ट ने कहा था कि मेधा पाटकर की उम्र 70 वर्ष हो चुकी है और उन्हें पहले कभी किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है। ऐसे में वे सजा और जुर्माना कम करने की पात्र हैं।

जुडिशियल मजिस्ट्रेट ने एक जुलाई 2024 को मेधा पाटकर को सजा सुनाई थी। जुडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अधिकतम सजा दो साल की होती है लेकिन मेधा पाटकर के स्वास्थ्य को देखते हुए पांच महीने की सजा दी जाती है। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये साफ हो गया है कि मेधा पाटकर ने सिर्फ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए।

हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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