आजम खान की आवाज का नमूना 2007 में रामपुर के टांडा इलाके में एक जनसभा में उनके द्वारा दिए गए भाषण से मिलान के लिए मांगा गया था। इस भाषण को एक सीडी में रिकॉर्ड किया गया था। न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ ने इस मामले में आजम की ओर से दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया।
पीठ ने कहा, ‘‘प्रतिवादी को नोटिस जारी करें। इस बीच, निचली अदालत के 29 अक्टूबर 2022 के उस आदेश पर अंतरिम रोक रहेगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2023 को बरकरार रखा था।’’ आजम ने इलाहाबाद सुप्रीम कोर्ट के 25 जुलाई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने आजम की याचिका का निपटारा करते हुए मामले में रामपुर की अदालत का फैसला बरकरार रखा था।
धीरज कुमार शील नाम के एक व्यक्ति ने 2007 में आजम के खिलाफ टांडा पुलिस थाने में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। शील ने सपा नेता पर नफरत भरा भाषण देने और बसपा अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।
बता दें, आजम पर साल 2007 में बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ कथित तौर पर नफरत फैलाने वाला भाषण देने और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप है। इसी मामले में, निचली अदालत ने उन्हें अपनी आवाज का नमूना देने का निर्देश दिया गया था, जिससे भाषण से मिलान करा जा सकता।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान के खिलाफ सात अगस्त 2007 को विधानसभा चुनाव में भाषण के दौरान टांडा थाने में दलित समाज के प्रति आपत्तिजनक और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में बसपा नेता धीरज कुमार शील ने मुकदमा दर्ज कराया था। इससे विभिन्न वर्गों के लोगों में शत्रुता को बढ़ावा दिया और लोगों के बीच दुश्मनी या नफरत पैदा करने, धर्म, जाति और भाषा के आधार पर बांटने का प्रयास किया।
पुलिस ने विवेचना के बाद मामले की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने सपा नेता की रिट को खारिज करते हुए आवाज का नमूने देने के आदेश दिए थे। अब इस मामले में एमपी-एमएलए (सेशन ट्रायल) कोर्ट ने पिछले दिनों विधि विज्ञान प्रयोगशाला को सपा नेता की आवाज का सैंपल लेने के आदेश दिए हैं। विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने इस मामले में 25 अगस्त को प्रयोगशाला में आवाज का नमूना लेने की तारीख तय की थी। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां उन्हें राहत दी गई है।