सरस कवि गोष्ठी में अध्यात्म, फागुन और श्रृंगार की हुई रस वर्षा

हरिद्वार, 27 फ़रवरी (हि.स.)। शब्द गंगा साहित्यिक व सांस्कृतिक मंच व श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में महाशिवरात्रि महापर्व के उपलक्ष्य में सरस कवि गोष्ठी का आयोजन, उछाली आश्रम, ललतारौ के सभागार में किया गया।

गोष्ठी का श्रीगणेश मां शारदा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पांजलि व दीप प्रज्वलन के उपरांत युवा कवयित्री अपराजिता उन्मुक्त की सरस्वती वंदना से हुआ। उछाली आश्रम के परमाध्यक्ष महंत विष्णुदास महाराज की अध्यक्षता में गोष्ठी आयोजित की गई।

कवि गोष्ठी में प्रस्तुत रचनाओं में शिवरात्रि महापर्व, ऋतुराज बसंत के साथ-साथ श्रृंगारिक प्रस्तुतियों की प्रधानता रही।

कवयित्री मीरा भारद्वाज ने भोला कर मन मेरा नैनन जल चढ़ाऊं, अभिषेक करूं तेरा, कवि विजेंद्र हर्ष ने मन भावों के अर्घ्य चढ़ाकर, श्रद्धा के तर्पण देकर, मैंने मुस्कानों की कुछ कलियां पथ में बिखराई हैं को पढ़ा। डॉ.सुशील त्यागी अमित की प्रार्थना थी सफलता की कुंजी प्रभु मम तुम्हीं हो तो कवियित्री कंचन प्रभा गौतम ने नैनों में अश्रुधार भर कर दूंगी में आहुति के साथ. देवाधिदेव महादेव को नमन किया।

गीतकार रमेश रमन ने शिव पर भी फूल मिलेगा शव पर भी फूल मिलेगा, मन फूल उठा झूल उठा, जब आई फागुन बयार के साथ वरिष्ठ कवि अरुण कुमार पाठक ने बसंत व फागुन की मस्ती का रंग घोला।

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