उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की एक अदालत में मंगलवार को मॉब लिचिंग मामले में फैसला सुनाते हुए दस लोगों काे उम्रकैद की सजा सुनाई है। पुलिस ने इस मामले में दस आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। उस समय से मामला अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश के न्यायालय में विचाराधीन था। बीते दिन यानी मंगलवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश श्‍वेता दीक्षित की न्यायालय ने सभी दस आरोपितों को दोषी करार देते हुए उन्‍हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही सभी दोषियों पर 59-59 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दरअसल, भीड़ के हमले में मदापुर निवासी कासिम की मौत हो गई थी। जबकि, एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी पुलिस की विवेचना में हस्तक्षेप करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करने के आदेश डीआईजी मेरठ को दिए थे। विशेष लोक अभियोजक विजय कुमार चौहान ने बताया कि अभियोजन पक्ष की तरफ से 23 गवाह और साक्ष्य न्यायालय में पेश किए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश श्‍वेता दीक्षित ने मंगलवार को निर्णय सुनाया। उन्होंने आरोपी युधिष्ठिर, राकेश, कानू उर्फ कप्तान, सोनू, मांगेराम, रिंकू, हरिओम, मनीष, ललित और करनपाल को मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विजय कुमार चौहान ने बताया कि मामले का एक आरोपी घटना के समय नाबालिग था। जिसके चलते उसकी पत्रावली सुनवाई के लिए किशोर न्याय बोर्ड को भेज दी गई थी। वादी के अधिवक्ता विरेंद्र ग्रोवर ने बताया कि पिलखुवा थाना पुलिस ने 18 जून 2018 को अज्ञात लोगों के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया था। इसमें जिक्र था कि समयद्दीन और कासिम किसी काम से बाइक पर सवार होकर बझेड़ा खुर्द गांव होते हुए धौलाना जा रहे थे। बझेड़ा गांव के समीप उनकी बाइक की किसी अन्य बाइक से टक्कर हो गई।
मौके पर पहुंचे लोगों ने दोनों की जमकर पिटाई कर दी। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पर चिकित्सक ने कासिम को मृत घोषित कर दिया और घायल समयद्दीन का उपचार शुरू कर दिया गया। पुलिस की दर्ज रिपोर्ट का पीड़ित पक्ष ने विरोध किया और मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। उन्होंने कहा था कि गोकशी की अफवाह को लेकर समयुद्दीन और कासिम की कुछ लोगों ने जमकर पिटाई की थी, जिसके चलते ही कासिम की मौत हो गई और समयुद्दीन घायल हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने डीआईजी मेरठ को मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दिए थे। जांच के बाद पुलिस ने 11 आरोपियों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी।

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