अगर नवाज के फैन हैं और उनकी फिल्म मिस नहीं करना चाहते हैं, तो हड्डी देख सकते हैं। पर ट्रेलर देखकर फिल्म से कोई उम्मीद लगा कर मत बैठिए अगर उम्मीद लगाई, तो निराशा हाथ लगने वाली है।

बात अलग है कि समय-समय पर ट्रांसजेंडर की लाइफ पर फिल्में और सीरीज बनती रहती हैं। काफी वक्त से नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म हड्डी की भी चर्चा हो रही थी। इंतजार खत्म हुआ फिल्म Zee5 पर रिलीज हो चुकी है। फिल्म इलाहाबाद के रहने वाले ट्रांसजेंडर हड्डी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की कहानी है, जिसको परिवार और समाज से हमेशा धितकार मिली है। समाज तो उसे जिंदा भी नहीं रहने देना चाहता, पर शायद मौत उसकी किस्मत में लिखी ही नहीं थी। इसलिए मौत के करीब पहुंचकर भी वो बच जाता है। जिंदगी जीने की चाह थी। तभी हड्डी को अम्मा यानि इला अरुण का सहारा मिलता है। अम्मा ना सिर्फ हड्डी को पढ़ाती-लिखाती है, बल्कि उसे अच्छा इंसान भी बनाती है।

अम्मा ने लाचार हड्डी की लाइफ सेट कर दी थी। वो भी आगे बढ़ने के लिए मेहनत कर रहा था। तभी उसकी जिंदगी में प्रमोद अहलावत अनुराग कश्यप नाम के राजनेता की एंट्री होती है। इसके बाद उसकी लाइफ पूरी तरह बदल जाती है। प्रमोद एक लालची और मतलबी नेता है,  जो अपने काले धंधे  के जरिए नोएडा जैसी जगह को शंघाई बनाना चाहता था। प्रमोद उन लोगों में से है, जो अपने फायदे के लिए लोगों की जान लेने से नहीं चूकता है। हड्डी और प्रमोद का पुराना इतिहास भी रहा है। अब प्रमोद हड्डी पर भारी पड़ता है या हड्डी प्रमोद पर, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। फिलहाल की कहानी का मेन प्लॉट यही है।

हड्डी का ट्रेलर इतना दमदार था कि सबने सोच लिया था कि फिल्म काफी धांसू होने वाली है। पर मूवी देखने के बाद लगता है कि ट्रेलर में हमने जो देखा, फिल्म में उसका 10 प्रतिशत भी नहीं दिखा। इतना गंभीर मुद्दा होने के बावजूद फिल्म काफी कमजोर लगती है। फर्स्ट हाफ काफी उलझा हुआ और स्लो है।  समझना मुश्किल होता है कि फिल्म किस ओर भाग रही है। ना ही ये पता चलता है कि आखिर कहानी है क्या। वहीं दूसरी तरफ इसका सेकेंड हाफ इतनी तेजी से भागता है कि पता नहीं चलता मूवी कब खत्म हो गई। इसका एंड देखकर लगा कि डायरेक्टर को फिल्म खत्म करने की काफी जल्दी थीय़ या फिर उन्हें पिक्चर को बेहतर एंड देना ही नहीं था।

कहानी भले ही कमजोर है, लेकिन फिल्म में नवाज ने ट्रांसजेंडर का रोल काफी दमदार तरीके से निभाया है। कई जगहों पर उनकी अदाएं देखकर लगा ही नहीं कि वो मेल एक्टर हैं। वो अपनी बेहतरीन एक्टिंग से नॉर्मल सी कहानी में ट्विस्ट डालते दिखे। उन्हें स्क्रीन पर देखकर अच्छा लगता है। वो साड़ी पहनकर जिस तरह इतराते हैं और अपने नैनों से काम कर जाते हैं, वो देखकर साफ पता चलता है कि उन्होंने अपने रोल को घोल कर पी लिया है।

अनुराग कश्यप कैमरे के पीछे जितना शानदार काम करते हैंय़ कैमरे के आगे वो उतनी ही बेकार एक्टिंग की ।  एक एक्टर की पहचान होती है कि वो शब्दों से ज्यदा अपनी आंखों से कमाल करता हैय़ अफसोस अनुराग जितनी भी देर स्क्रीन पर रहे, सिर्फ फेक एक्टिंग करते दिखे। फिल्म में उनके अलावा सौरभ सचदेवा, जीशान अयूब और इला अरुण भी अहम भूमिका में थे, जो जितनी देर टीवी पर दिखे, अच्छा काम किया।

हड्डी में गाने और ह्यूमर की बहुत ज्यादा कमी थी। कहानी काफी बिखरी हुई है।  फिल्म के सीन्स को एक फ्लो के साथ सजाया नहीं गया थ नवाज की फिल्म में मीम कल्चर वाले जोक्स भी मारे गए हैं, जिन्हें सुनने में बिल्कुल मजा नहीं आता।  ट्रेलर के जरिए दर्शकों को इंप्रेस करने की जितनी कोशिश की गई थी, अगर उतना फिल्म पर करते, तो बिल्कुल निराशा नहीं होती। फिल्म का डायरेक्शन भी काफी वीक है।

अगर नवाज के फैन हैं और उनकी फिल्म मिस नहीं करना चाहते हैं, तो हड्डी देख सकते हैं। पर ट्रेलर देखकर फिल्म से कोई उम्मीद लगा कर मत बैठिए अगर उम्मीद लगाई, तो निराशा हाथ लगने वाली है।

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